मानव जीवन कि हर समस्या का समाधान शास्त्र के माध्यम से किया जा सकता है, हर वो समस्या जो मानव के हाथ मेे नहीं है, जिसका समाधान तो वह चाहता है लेकिन उसके लिए कुछ कर नहीं पाता, ऐसे में शास्त्र ही एक ऐसा माध्यम है, जो मानव कि इस प्रकार कि समस्या का समाधान करता है। आज हम आपसे एक ऐसे ही समस्या के समाधान के बारे में चर्चा करने वाले हैं, जहां पर हम जानेंगे कि बच्चों को किस प्रकार से होशियार बनाया जा सकता है? कैसे वह किसी भी परिक्षा में अव्वल नम्बर से पास हो सकता है। बस इसके लिए जरूरी है कि आप कुछ नियमों को अपनाएं जिससे आप अपने बच्चे को होशियार बच्चों में शामिल कर सकते है, तो चलिए जानते हैं उस उपाय के बारे में....
पढऩे का समय ब्रह्म मुहूर्त (प्रात काल), सूर्योदय से पूर्व अर्थात सुबह 4.30 बजे से प्रथम प्रहर सुबह 10 बजे तक उत्तम रहता है। अधिक देर रात पढऩा उचित नहीं है। अध्ययन कक्ष के मंदिर में सुबह-शाम चंदन की अगरबत्तियां लगाना न भूलें।
कक्ष में हल्के रंगों का प्रयोग- अध्ययन कक्ष की दीवारों का रंग हल्का पीला, सफेद या किसी भी हल्के रंग का होना चाहिए। बिस्तर या पर्दे के रंग खिलते हुए होने चाहिए। संयोजन सफेद, बादामी, पिंक, आसमानी या हल्का फिरोजी रंग दीवारों पर या टेबल-फर्नीचर पर अच्छा है। काला, गहरा नीला रंग कक्ष में नहीं करना चाहिए। रंग-बिरंगे पेन-पेंसिल का प्रयोग बच्चे के मस्तिष्क को ऊर्जा प्रदान करता है।
मां सरस्वती का छोटा चित्र लगाएं- पढ़ाई में मन की एकाग्रता हेतु सरल, चमत्कारी टिप्स अपने अध्ययन कक्ष में मां सरस्वती का छोटा सा चित्र लगाएं व पढऩे के लिए बैठने से पूर्व उसके समक्ष कपूर का दीपक जलाएं अथवा तीन अगरबत्ती हाथ जोड़ कर जलाएं। प्रार्थना करें व पढ़ाई शुरू करें। नकारात्मक चित्रंकन वाली तस्वीर, फिल्मी तस्वीर, प्रेम प्रदर्शित तस्वीर नहीं लगाना चाहिए। कुछ अच्छे पोस्टर या महापुरुषों द्वारा कहे गए नीति वचन अध्ययन कक्ष के वातावरण को बेहतर बनाते हैं।
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