उज्जैन। शहर से करीब 45 किमी दूर पर महिदपुर और उन्हेल के बीच सड़क से सटा घड़ी वाले बाबा का एक मंदिर है, जिसे लेकर मान्यता है कि, यहां आने वालें भगतों का वक्त बदल जाता है। भक्त यहां मन्नत मांगते हैं और उस मन्नत के पूरा होने पर मंदिर की दीवार पर घड़ी चढ़ाते हैं। पिछले दो साल में यह मंदिर बेहद फेमस हो गया है। मंदिर के फेमस होने के बाद से इस मंदिर में घड़ी रखने की जगह नहीं बची है, जिसके चलते भक्तों ने मंदिर के पास वाले बरगद के पेड़ पर घड़ियां टांगना शुरू कर दिया है।
अब स्थिति यह है कि, इस मंदिर में करीब 2 हजार से भी ज्यादा दीवार घड़ियां भेंट की जा चुकी हैं वहीं, कुछ भक्त यहां सिगरेट और चिलम भी चढ़ाते हैं।घड़ी वाले बाबा का सगस महाराज मंदिर नाम से प्रसिद्ध है यह मंदिर। ग्रामीणों का दावा है कि, यह मंदिर अस्तित्व में तकरीबन 10 साल पहले ही आया है। लेकिन कोई नहीं जानता कि, इस पेड़ के नीचे किसने इस मूर्ति की स्थापना की और मन्नत पूरी होने पर मंडी में घड़ी भेंट की।
बीते दो साल में यह सिलसिला इतना मशहूर हुआ है कि, भक्तों ने अपनी श्रद्धा से इतनी घड़ियां भेट कर दी कि, अब मंदिर में घड़ी लगाने की बिलकुल भी जगह नहीं बची है। ग्रामीणों के अनुसार इस मंदिर में घड़ी के साथ-साथ पूजन सामग्री, नारियल, अगरबत्ती, सिगरेट और चिलम चढ़ाने की परम्परा भी है, लेकिन यह प्रथा किसने, कब और क्यों शुरू की इस बारे में कोई कुछ भी नहीं जानता है।
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