दिवाली पर माता लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति किस दिशा में रखें? यहाँ जानिए सब-कुछ

दिवाली पर माता लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति किस दिशा में रखें? यहाँ जानिए सब-कुछ
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सनातन धर्म में दिवाली को सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक माना गया है। इसे दीपोत्सव या रोशनी का पर्व भी कहते हैं, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इस वर्ष दिवाली 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस अवसर पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी मूर्तियों को सही दिशा में स्थापित करना कितना महत्वपूर्ण है? इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियों को किस दिशा में स्थापित करना शुभ होता है और पूजा विधि में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

मूर्तियों की सही दिशा
वास्तु और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार:

लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियों को हमेशा उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा में रखना चाहिए। यह दिशा शुभ और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत मानी जाती है। जब मूर्तियाँ इस दिशा में होती हैं, तो यह घर में धन और समृद्धि का वास करती हैं। इस दिशा में पूजा करने से आपके परिवार में सुख और शांति का अनुभव होता है।

मां लक्ष्मी की स्थिति:
मां लक्ष्मी को गणेश जी के दाईं ओर स्थापित करना चाहिए। इसका अर्थ है कि पूजा के दौरान आप उनके सामने बैठते हैं। यह स्थापित करना इस बात का प्रतीक है कि लक्ष्मी और गणेश जी का संबंध हमेशा एक-दूसरे से जुड़ा होता है।

पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
मूर्तियों का स्थान:
पूजा करते समय मूर्तियों या चित्रों का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। इससे पूजा विधि सही दिशा में संपन्न होती है।

साफ-सफाई:
पूजा स्थल की साफ-सफाई अत्यंत आवश्यक है। सुनिश्चित करें कि जिस स्थान पर पूजा की जा रही है, वह स्वच्छ और साफ हो। गंदगी से न केवल पूजा का प्रभाव कम होता है, बल्कि यह नकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करती है।

तेज वस्तुओं से दूरी:
पूजा के दौरान नुकीली या तेज वस्तुएं (जैसे चाकू, कैंची) पूजा स्थल के पास न रखें। ये वस्तुएं पूजा के माहौल को बिगाड़ सकती हैं।

दिवाली की पूजा विधि
घर की साफ-सफाई:
सबसे पहले अपने घर को अच्छे से साफ करें। यह सिर्फ पूजा स्थल पर नहीं, बल्कि पूरे घर में साफ-सफाई का ध्यान रखें।

पूजा स्थल की सजावट:
पूजा स्थल को अच्छे से सजाएं। एक लकड़ी के पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं। यह रंग समृद्धि और खुशियों का प्रतीक माना जाता है।

मूर्तियों का प्रतिष्ठापन:
पाटे पर लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके पास श्री यंत्र या सिक्के रखें, जो धन और समृद्धि के प्रतीक होते हैं।

दीपक और धूप:
पूजा स्थल के पास घी का दीपक जलाएं और मूर्ति के सामने धूप या अगरबत्ती जलाएं। यह वातावरण को पवित्र बनाता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

कलश का उपयोग:
एक छोटा कलश लें, उसमें जल भरकर उसके ऊपर पान का पत्ता और एक नारियल रखें। यह माता लक्ष्मी के प्रतीक के रूप में रखा जाता है।

भेंट सामग्री:
लक्ष्मी-गणेश जी को फूल, चावल, हल्दी, कुमकुम, फल, मिठाई और ताजे फूल अर्पित करें। ये सामग्री पूजा के दौरान श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक होती हैं।

मंत्र जपना:
पहले गणेश जी का ध्यान करें और फिर माता लक्ष्मी का आवाहन करें। उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें। मंत्र जपें:
“ॐ श्री गणेशाय नमः”
“ॐ महालक्ष्म्यै नमः”

आरती:
अंत में माता लक्ष्मी की आरती और फिर गणेश जी की आरती करें। आरती के बाद सभी को प्रसाद बांटें और दीपों को पूरे घर में जलाएं। यह आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि लाएगा।

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