कांग्रेस के नए दफ्तर का उद्घाटन, मनमोहन सिंह भवन नाम रखने की थी मांग, रखा गया 'इंदिरा भवन'

कांग्रेस के नए दफ्तर का उद्घाटन, मनमोहन सिंह भवन नाम रखने की थी मांग, रखा गया 'इंदिरा भवन'
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में 15 जनवरी को कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय का उद्घाटन किया गया। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुख्यालय का उद्घाटन किया, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी भी मौजूद रहे। पार्टी के इस नए कार्यालय का नाम 'इंदिरा भवन' रखा गया है, लेकिन इस नामकरण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने इस दफ्तर का नाम पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर रखने की मांग की थी। इस विवाद के चलते पार्टी को न केवल अपने भीतर असंतोष का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी उसे आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है।

 

डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्होंने 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी, भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक बड़ा नाम हैं। हाल ही में उनके निधन के बाद, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि उन्होंने डॉ. सिंह को उचित सम्मान नहीं दिया। पार्टी ने यह दावा किया था कि डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के दौरान केंद्र ने असंवेदनशीलता दिखाई। लेकिन अब, जब कांग्रेस ने अपने नए मुख्यालय का नाम तय किया, तो उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह को नजरअंदाज करते हुए इसे ‘इंदिरा भवन’ नाम दिया। इस फैसले के बाद कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने पार्टी मुख्यालय के बाहर ‘सरदार मनमोहन सिंह भवन’ के पोस्टर लगाकर विरोध जताया। उनका कहना है कि अगर पार्टी वाकई डॉ. सिंह को सम्मान देना चाहती थी, तो यह नाम उनके नाम पर रखा जाना चाहिए था।

गांधी परिवार के नाम पर इमारत का नामकरण करना कोई नई बात नहीं है। देश में पहले से ही इंदिरा गांधी के नाम पर कई स्मारक, हवाईअड्डे, भवन और पार्क मौजूद हैं। आलोचकों का कहना है कि कांग्रेस हर सम्मान को गांधी परिवार के इर्द-गिर्द सीमित कर देती है। इस बार भी, हाल ही में दिवंगत हुए डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर नामकरण का मौका था, लेकिन पार्टी ने इसे नजरअंदाज कर दिया। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा जमकर बहस का विषय बना हुआ है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या कांग्रेस के लिए गांधी परिवार के अलावा किसी और का योगदान मायने नहीं रखता?

 

बीजेपी ने भी इस विवाद पर कांग्रेस पर हमला बोला है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, "कांग्रेस गांधी परिवार के आगे किसी और का नाम नहीं सोच सकती। मनमोहन सिंह का अपमान करते हुए उनकी विरासत को दरकिनार कर दिया गया है। यह वही कांग्रेस है, जिसने पीवी नरसिम्हा राव और प्रणब मुखर्जी जैसे दिग्गज नेताओं का भी अपमान किया।" 

इस मामले में राहुल गांधी पर भी निशाना साधा जा रहा है। डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के समय, जब देश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित था, तब राहुल गांधी कथित तौर पर वियतनाम में नए साल का जश्न मना रहे थे। उस वक्त भी सोशल मीडिया पर कांग्रेस की इस असंवेदनशीलता की जमकर आलोचना हुई थी। अब, जब कांग्रेस ने अपना नया दफ्तर बनाया है, तो कार्यकर्ताओं की मांग के बावजूद इसे डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर नहीं रखा गया, जिसने इस विवाद को और गहरा दिया है।

 

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक वर्ग पार्टी के इस फैसले से नाखुश है। उनका मानना है कि डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्होंने पार्टी के लिए दो कार्यकाल तक प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी और देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी, इस सम्मान के वास्तविक हकदार थे। सोशल मीडिया पर भी इस नामकरण को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। कुछ यूजर्स ने लिखा, "अगर इंदिरा गांधी के नाम पर पहले से इतने स्मारक और भवन हैं, तो क्या एक नया भवन मनमोहन सिंह के नाम पर नहीं हो सकता था?" वहीं, अन्य लोगों ने कहा, "गांधी परिवार के प्रति इस अंधभक्ति ने कांग्रेस की जड़ों को कमजोर कर दिया है।"

कांग्रेस के नए मुख्यालय का नामकरण पार्टी की नीतियों और प्राथमिकताओं का एक बड़ा प्रतीक बन गया है। इस विवाद ने पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह असहज सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या कांग्रेस अपने अन्य दिग्गज नेताओं के योगदान को भूलकर केवल गांधी परिवार तक सीमित रह जाएगी, या भविष्य में पार्टी में संतुलन और विविधता लाने की कोशिश करेगी? डॉ. मनमोहन सिंह का नाम न केवल कांग्रेस बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। इस विवाद ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या कांग्रेस ने अपने ही एक दिग्गज नेता के प्रति न्याय किया है।

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