नई दिल्ली : कालेधन के बाद केंद्र सरकार अब उन कागजी कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है, जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग में सक्रिय होने का शक है.ऐसी कंपनियों की संख्या 6 से 7 लाख तक संभावित है. इनमें से कई कंपनियों ने बड़ी लेन देन कर नोटबंदी के बाद बैंकों में बड़े पैमाने पर नकद जमा कराया है.
गौरतलब है कि देश में करीब 15 लाख रजिस्टर्ड कंपनियां हैं, जिनमें से 40 फीसदी फर्म्स संदेह के दायरे में हैं. केंद्र सरकार ने ऐसी कंपनियों की जांच के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड समेत कई एजेंसियों को जिम्मेदारी दी है.सरकार ने सभी प्रमुख राजस्व खुफिया एजेंसियों के अलावा सिक्यॉरिटी ऐंक्सचेंज एन्ड बोर्ड ऑफ इंडिया, आरबीआई, इंटेलिजेंस ब्यूरों और कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री की भी इस काम में मदद ली जा रही है. सरकार का लक्ष्य 6 से 7 लाख कंपनियों का पंजीकरण खत्म करने के बाद सांस्थानिक मनी लॉन्ड्रिंग की व्यवस्था को खत्म किया जा सकेगा.
एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी ने बताया कि विभाग ने ऐसी कंपनियों के बारे में जानकारियां जुटाई हैं, जिन्होंने नोटबंदी के बाद 30 दिसंबर तक बैंकों में बड़े पैमाने पर रकम जमा कराई है.आयकर विभाग का कहना है कि रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के समक्ष रिटर्न फाइल न करने की वजह से ये कंपनियां पहले से ही राडार पर थीं.
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