नई दिल्ली : अगर आपने अभी तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा है तो यह खबर आपके लिए काम की साबित हो सकती है. आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (आईटीआर) फाइल करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त 2018 कर दी गई है.
जानें फाइनेंशियल ईयर और असेसमेंट ईयर में अंतर
फाइनेंशियल ईयर वह होता है जिसमें आप कमाई करते हैं. यह एक अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है. इसके ठीक बाद वाला साल असेसमेंट इयर होता है. अगर वित्त वर्ष 2017-18 है तो असेसमेंट ईयर 2018-19 होगा.
ग्रॉस टोटल इनकम बनाम टोटल इनकम: नौकरीपेशा लोगों को फॉर्म 16 मिलता है जिसमें प्राप्त होने वाला कुल वेतन, कर योग्य आय, प्रासंगिक छूट और कटौती का उल्लेख होता है. इसे टोटल इनकम कहा जाता है.
-ग्रॉस टोटल इनकम में सभी तरह आने वाली आय गिनी जाती है. जैसे सैलरी से प्राप्त होने वाली इनकम, प्रॉपर्टी, बिजनेस या प्रोफेशन, प्रॉफिट या गेन और अन्य स्रोत जैसे की ब्याज आदि शामिल होता है.
एडवांस टैक्स बनाम सेल्फ असेसमेंट टैक्स : एक वित्त वर्ष के दौरान अगर आपकी टैक्स देनदारी 10,000 रुपए से ज्यादा की होती है तो आपको एडवांस टैक्स देना होगा. अगर आप इसका भुगतान नहीं करते हैं तो आपको आयकर की धारा 234B और 234C के तहत ब्याज का भी भुगतान करना पड़ता है.
सेल्फ असेसमेंट टैक्स दरअसल आपकी टैक्स देनदारियों का अंतिम हिसाब होता है. वित्त वर्ष खत्म होने के बाद जो भी टैक्स देनदारी बनती है वो सेल्फ असेसमेंट टैक्स मानी जाती है. इसका भुगतान वित्त वर्ष बीत जाने के बाद आकलन वर्ष में किया जाता है.
एग्जेम्पशन बनाम डिडक्शन: ये दोनों ही टैक्स लायबिलिटी को कम करने का काम करते हैं. लेकिन आयकर की धारा के मुताबिक अलग अलग हो सकते हैं.
टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स बनाम टोटल टैक्स: टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स यानी टीडीएस की कटौती सिर्फ आपकी आमदनी के स्रोत पर होती है, फिर ये चाहे आपके नियोक्ता की ओर से आपकी सैलरी पर हो या फिर आपकी जमा पर बैंक की ओर से.
ख़बरें और भी..
आख़िरी दिन भी बाज़ार में रही तेजी
सेंसेक्स पहली बार 37000 के पार, जारी है तेज़ी