दलितों-मुस्लिमों से दोस्ती बढ़ाएं..! बिहार के यादवों को ये सलाह क्यों दे रहे तेजस्वी?

दलितों-मुस्लिमों से दोस्ती बढ़ाएं..! बिहार के यादवों को ये सलाह क्यों दे रहे तेजस्वी?
Share:

पटना: तेजस्वी यादव, इस चुनावी साल में यादव समुदाय से विशेष अपील करते नज़र आ रहे हैं। उन्होंने हाल ही में मधुबनी की रैली में यादवों से पांच महत्वपूर्ण बातें साझा की, जिनका ध्यान न रखने पर सरकार में आने की संभावना कम हो सकती है। तेजस्वी ने यादवों से कहा कि वे सामंती न बनें, बल्कि समाजवादी दृष्टिकोण अपनाएं। उनका कहना था कि कुछ यादव समुदाय के लोग सामंती रवैया अपनाते हैं, जिससे पूरी जाति को बदनाम किया जाता है। 

इसके अलावा, तेजस्वी ने यादवों से यह भी कहा कि वे सभी को साथ लेकर चलें, जैसा कि उनके पूर्व नेताओं ने किया था। उन्होंने विशेष रूप से दलितों और अतिपिछड़ों के साथ भाईचारा बढ़ाने की अपील की, और यह भी कहा कि मुसलमानों के प्रति सहिष्णुता बनाए रखें। तेजस्वी ने यादवों से यह भी कहा कि केवल लालू यादव उनके नेता हैं, और उन्हें किसी अन्य छोटे नेताओं के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।

लेकिन इस दौरान एक सवाल उठता है कि अगर तेजस्वी यादव दलित और मुस्लिम समुदाय से भाईचारा बढ़ाने की बात कर रहे हैं, तो क्या यादव समाज अन्य समुदायों जैसे ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर और जाट के साथ भाईचारा नहीं बढ़ाएंगे? क्या तेजस्वी यादव का यह बयान सिर्फ दलित और मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश है? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार की राजनीति में यादव और मुस्लिमों की अहम भूमिका रही है, और तेजस्वी इन दोनों समुदायों को अपने पक्ष में रखना चाहते हैं। 

जब तेजस्वी यादव इस तरह की अपील करते हैं, तो यह सवाल भी उठता है कि क्या वह केवल यादव, मुस्लिम और दलित वोटों के आधार पर बिहार की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रहे हैं? क्योंकि विशेषकर इन्ही का नाम तेजस्वी ने लिया है और किसी अन्य का नहीं। अगर तेजस्वी यादव पूरी बिहार की जनता के बीच समानता और भाईचारे का संदेश देना चाहते हैं, तो यह जरूरी था कि वह अन्य समुदायों के साथ भी अच्छे संबंध बनाए रखने की बात करते। 

दरअसल, तेजस्वी यादव की अपीलों से यह स्पष्ट होता है कि उन्हें लगता है कि यादव और मुस्लिम समुदायों का गठजोड़ ही बिहार में उनकी पार्टी की सियासी ताकत को मजबूत कर सकता है। पिछले कुछ चुनावों में,  यादव और मुस्लिम वोट तो RJD को भरपूर मिले, लेकिन दलित मतदाता आरजेडी से छिटक गए, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा था। इस बार तेजस्वी ने इन समुदायों के बीच अपनी पकड़ को मजबूत करने की कोशिश की है, ताकि चुनावी मैदान में वह अपने विरोधियों को पछाड़ सकें। 

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
Most Popular
- Sponsored Advert -