विदेशी निवेशकों का बढ़ा विश्वास, FDI से हो रही वित्तीय घाटे की भरपाई

विदेशी निवेशकों का बढ़ा विश्वास, FDI से हो रही वित्तीय घाटे की भरपाई
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यह देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काबिलियत में निवेशकों के बढ़ते विश्वास का संकेत है, कि 1991 में नई अर्थव्यवस्था को अपनाने के बाद पहली बार भारत के चालू वित्तीय घाटे की भरपाई एफडीआई के जरिए हो रही है. भारत का निर्यात, आयात के मुकाबले बढ़ रहा है. यह कारोबारी जगत के लिए शुभ संकेत हैं.

बता दें कि जिस वित्तीय घाटे की भरपाई अब तक तक विदेशी मुद्रा बाजार में कंपनियों द्वारा उधार लेने, एनआरआई की फंडिग और पोर्टफोलियो इन्फ्लो के जरिए होती थी, उसमें अब परिवर्तन दिखाई दे रहा है. एफडीआई में रिकॉर्ड वृद्धि का उपयोग कंपनियां और केंद्रीय बैंक पुराने उधारों को चुकाने में कर रहे हैं.

इस सम्बन्ध में आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि इन श्रेणियों में अप्रैल-जनवरी की अवधि के दौरान नेट आउटफ्लो देखा गया. इसमें विशेष रूप से डॉलर की जमा राशि के मुआवजे के एवज में 2013 में एनआरआई से भारत द्वारा उठाए गए रकम के मुकाबले करीब 26 अरब डॉलर का आउटफ्लो शामिल है.

जबकि यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा राव का कहना है कि उदार नीति के ढांचे का परिणाम के अलावा देश में कारोबारी माहौल और तेजी से सुधार लाने के समर्थन ने वर्तमान समय में एफडीआई फ्लो ने पोर्टफोलियो फ्लो को पीछे छोड़ दिया है. सच तो यह है कि भारत एक ऐसी अर्थव्यवस्था बन रहा है, जहां स्थिर विकास मिलता है. जबकि दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया जैसे उभरते बाजार राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं.

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