भारत समेत पूरे विश्व में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह खतरनाक बीमारी तब होती है जब कोशिकाएं बिना किसी नियंत्रण के बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर या कैंसर का रूप ले लेती हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से लाइफस्टाइल सबसे प्रमुख है। हाल ही में एक नई स्टडी ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि जेनरेशन Z और मिलेनियल्स पर कैंसर का खतरा काफी ज्यादा होता है।
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की रिसर्च के अनुसार, 34 प्रकार के कैंसर में से 17 प्रकार के कैंसर के मामलों में युवाओं में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। इनमें पुरुषों के लिए एनल, कोलन, रेक्टल, यूटेरिन कॉर्पस, गॉल ब्लेडर, किडनी और रीनल पेल्विस, पैनक्रियाज, मायलोमा, नॉन-कार्डिया गैस्ट्रिक, टेस्टिस, ल्यूकेमिया और कपोसी सारकोमा जैसे कैंसर शामिल हैं। महिलाओं में गैस्ट्रिक कार्डिया, छोटी आंत, एस्ट्रोजन रिसेप्टर पॉजिटिव ब्रेस्ट, ओवरी, लिवर, इंट्राहेपेटिक बाइल डक्ट, नॉन-HPV-अस्सोसिएटिव ओरल और फैरिक्स कैंसर का खतरा ज्यादा है।
जेनरेशन Z और मिलेनियल्स वे लोग हैं जो 1990 के दशक की शुरुआत में पैदा हुए हैं। इस स्टडी में पाया गया है कि इन पीढ़ियों में छोटी आंत, किडनी, और पैनक्रियाज के कैंसर के मामले 1950 के दशक के मुकाबले 2 से 3 गुना अधिक हैं। 1950 के दशक में जन्मीं महिलाओं की तुलना में मिलेनियल्स की महिलाओं को लिवर, ओरल और गले के कैंसर का खतरा काफी अधिक है। हालांकि, 1950 के दशक में जन्मी महिलाओं को गर्भाशय कैंसर का खतरा 169% ज्यादा था।
डॉक्टर्स के अनुसार, कैंसर से बचने के लिए समय पर जांच और स्क्रीनिंग बेहद जरूरी है। अगर कैंसर का पता समय पर लग जाए तो इसका इलाज संभव है। कई कैंसर ऐसे होते हैं, जिनसे आसानी से बचा जा सकता है। कैंसर से बचने के लिए लोगों में जागरूकता भी महत्वपूर्ण है। युवाओं को अपनी लाइफस्टाइल में सुधार लाना चाहिए, जैसे सही खान-पान और नियमित व्यायाम करना, ताकि कैंसर का खतरा कम किया जा सके।
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