भारत और पाकिस्तान की सीमा पर पिछले साल यानी 2017 में देश का सबसे ऊँचा तिरंगा लहराया गया. यह तिरंगा वाघा सीमा पर लहराया गया जिसकी वजह से इसका नाम विश्व रिकॉर्ड में भी दर्ज कर दिया गया. यह तिरंगा 360 फुट ऊँचा था और इसे लाहौर से भी देखा जा सकता था. पहले दिन जब इस तरंगे को लहराया गया था तो बहुत बड़ी तादाद में यहाँ लोग इसे सलामी देने के लिए इकट्ठे हुए और सभी के साथ बीएसएफ जवानों ने भी तिरंगे को सलामी भी दी थी. सबसे पहले बीएसएफ के 6 जवानों ने तिरंगे को सलामी दी. इस तिरंगे को पंजाब के नगर निकाय मंत्री अनिल जोशी ने फहराया था. उस फहराए तिरंगे को देश का सबसे ऊँचा तिरंगा कहा जा रहा था और अब भी कहा जाता है.
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तिरंगे को फहराने की बात सबसे पहले आईजी बीएसएफ मुख्यालय सुमेर सिंह के दिमाग में आई थी. जब उन्होंने इस बारे में सोचा था तब वह बीएसएफ में डीआईजी, बॉर्डर रेंज थे. अपने दिमाग की इस उपज को उन्होंने निकाय मंत्री अनिल जोशी से बांटा और उसके बाद दोनों ने इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेज दिया. यह तिरंगा तीन साल तक रहेगा और इस तिरंगे की देखभाल होशियारपुर की भारत इलेक्ट्रॉनिक कंपनी के द्वारा की जा रही है.
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इस तिरंगे को फहराए जाने पर उस वक्त पाकिस्तान ने आपत्ति जताई उन्होंने इसके लिए सीमा सुरक्षा बल से शिकायत भी की और अंतरराष्ट्रीय संधि के उल्लंघन का आरोप लगाकर झंडे को हटवाने की मांग की. भारत ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि तिरंगे को जीरो लाइन से 200 मीटर पहले लगाया गया और भारत के अनुसार इससे किसी भी संधि का उल्लंघन नहीं हो रहा था. तिरंगे के निर्माण में करीब 3.50 करोड़ रुपये का खर्च आया था.
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