भारत शुरू से ही अपने स्पिनरों पर भरोसा करता आया है, चाहे वो पूर्व ज़माने के इरापल्ली प्रसन्ना हों, भागवत चंद्रशेखर हों, या अपनी घूमती गेंदों से बल्लेबाजों को छकाने वाले बिशन सिंह बेदी. पिछले एक दशक में सन्यास लेने वाले फिरकी गेंदबाज़ अनिल कुंबले और हरभजन सिंह ने भी अपनी जादुई उंगलिओं से भारत को कई मैच जिताये हैं.
लेकिन अगर भारत के पेस अटैक की बात करें तो कपिल देव, जवागल श्रीनाथ जैसे एक दो नाम छोड़कर भारतीय तेज़ गेंदबाज़, विपक्षी बल्लेबाजों में अपना खौफ कायम करने में नाकाम रहे हैं. प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया से हुई बातचीत के दौरान पकिस्तान के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ और रावलपिंडी नाम से मशहूर शोएब अख्तर ने यही बात कही है. उन्होंने कहा "भारत को तेज़ गेंदबाज़ों वाला देश कहने में अभी काफी समय लगेगा."
हालांकि उन्होंने ये भी कहा की फिलहाल भारत के पास भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह, मो. शमी के रूप में विदेशी पिचों पर गेंदबाज़ी करने के लिए विकल्प मौजूद हैं, किन्तु उन्हें अगर अपना प्रदर्शन जारी रखना हैं, तो उन्हें अपनी फिटनेस पर ध्यान देना होगा. अख्तर ने कहा "एक तेज़ गेंदबाज़ के लिए उसकी फिटनेस सबसे अहम् होती हैं"
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