ख़त्म होने वाला है INDIA गठबंधन...! कांग्रेस के अहंकार से अखिलेश-तेजस्वी से लेकर ममता-अबदुल्ला भी नाराज़

ख़त्म होने वाला है INDIA गठबंधन...! कांग्रेस के अहंकार से अखिलेश-तेजस्वी से लेकर ममता-अबदुल्ला भी नाराज़
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नई दिल्ली: इंडिया गठबंधन, जिसे भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस ने विपक्षी दलों को एकजुट करके बनाया था, अब खुद अपने अस्तित्व पर सवालों से घिरा है। क्या यह गठबंधन एक साल भी टिक पाएगा? ये सवाल अब सियासी गलियारों में तैरने लगा है। विपक्ष के प्रमुख नेता, जो कभी इस गठबंधन को भाजपा के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार मानते थे, अब इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं। 

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में इंडिया ब्लॉक की कार्यशैली पर खुलकर आलोचना की। उन्होंने कहा, "यह बदकिस्मती है कि इंडिया गठबंधन की कोई बैठक नहीं हो रही। इसका नेतृत्व कौन करेगा? एजेंडा क्या है? अलायंस कैसे आगे बढ़ेगा? इन सवालों पर कोई चर्चा नहीं हो रही।" उमर ने यह भी कहा कि अगर यह गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव तक के लिए था, तो इसे अब समाप्त कर देना चाहिए। 

उमर की बातों से पहले, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी संकेत दिया था कि इंडिया ब्लॉक केवल लोकसभा तक सीमित था। उन्होंने कहा, "बिहार में तो हम पहले से साथ थे। लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में आरजेडी की भूमिका पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।" समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सराहना करते हुए कह चुके हैं कि, "दिल्ली ने शिक्षा और स्वास्थ्य में बदलाव देखा है। मुझे भरोसा है कि दिल्ली के लोग आम आदमी पार्टी को दोबारा सत्ता में लाएंगे। समाजवादी पार्टी पूरी जिम्मेदारी से आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी है।" 

इस बीच, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने भी आम आदमी पार्टी की जीत की उम्मीद जताई है। टीएमसी के नेता कुणाल घोष ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार फिर से आनी चाहिए और बीजेपी को हराना चाहिए। वहीं, कांग्रेस दिल्ली में चुनाव लड़ रही है, लेकिन टीएमसी को कांग्रेस से कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही।

गठबंधन की गिरती स्थिति का मुख्य कारण कांग्रेस का रवैया बताया जा रहा है। देश पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस शायद अब भी खुद को विपक्ष के बाकी दलों से ऊपर समझती है।  कांग्रेस का यह रवैया कि 'नेतृत्व का अधिकार केवल गांधी परिवार के पास है', अन्य दलों को असहज कर रहा है। अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, और उमर अब्दुल्ला जैसे प्रमुख नेता अब कांग्रेस की भूमिका पर खुलकर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस के इस रवैये ने न केवल विपक्षी दलों के बीच विश्वास की कमी पैदा की है, बल्कि इंडिया गठबंधन के भविष्य को भी अनिश्चित बना दिया है। 

अगर हालात जल्द नहीं सुधरे, तो यह गठबंधन, जिसे मोदी सरकार को चुनौती देने के लिए तैयार किया गया था, अपने ही अंतर्विरोधों के कारण टूट सकता है। सवाल यह है कि क्या विपक्ष अपने आपसी मतभेदों को भुलाकर भाजपा को चुनौती दे पाएगा, या फिर इंडिया गठबंधन केवल एक असफल प्रयोग बनकर रह जाएगा? 

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