नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है. इस महामारी ने पूरी दुनिया में ऐसा कहर बरपाया कि इससे अरबों लोग प्रभावित हुए, वहीं करोड़ों लोगों की जान चली गई. दिसबंर 2019 में ये घातक वायरस सबसे पहले चीन के वुहान (Wuhan) शहर में फैला था, उसके बाद इसने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया. दुनिया के कई देशों का मानना है कि इस वायरस को चीन के लैब में तैयार किया है.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बाद मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन का भी यही मानना है कि ये मानव निर्मित वायरस है, इसकी जांच होनी चाहिए. हालांकि चीन हमेशा से ही इसका सख्त विरोध करता रहा है. वहीं इस वाद-विवाद से भारत अभी तक दूर था, किन्तु अब भारत ने भी इसकी जांच का समर्थन किया है. भारत ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि कोरोना के ओरिजिन की जांच के लिए WHO के साथ जांच में सभी पक्षों का सहयोग आवश्यक है. बता दें कि कोरोना वायरस कहां से निकला, इस पर बहस जनवरी 2020 में ही शुरू हो गई थी. चीन ने पहले मना किया, फिर कुबूल किया कि यह एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है.
विश्व के तमाम देशों का मानना है कि चीन के वुहान की लैब में कोरोना वायरस का निर्माण हुआ है, वैज्ञानिकों की लापरवाही से वायरस फैल गया. अमेरिका ने लैब से कोरोना वायरस की उत्पत्ति की थ्योरी की जांच नए सिरे से आरंभ कर दी है. मौजूदा कोरोना वायरस को लेकर सबसे पहले शक गया, चीन के वुहान शहर की लैब- इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलाजी पर. इस लैब में चमगादड़ों पर अध्ययन किया जाता है. साल 2002 में सार्स-कोव-1 वायरस भी यहीं से निकला था, जिसके कारण दुनियाभर में करीब 774 लोगों की मौत हो गई थी. इस लैब की कमान बैट वायरसों पर विशेषज्ञता रखने वाली शी झेंग-ली संभाल रही हैं, इन्हें चीन में बैट लेडी भी कहा जाता है.
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