अबू धाबी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूएई के दूसरे दौरे से भारत को पहली बार अबू धाबी के बड़े तेल संसाधन में दस फीसदी हिस्सेदारी मिलने की खबर है. देश की तेल उत्पादक कंपनी ओएनजीसी (विदेश), भारत पेट्रो रिसोर्सेज, इंडियन ऑयल की कंसोर्टियम और अबू धावी के नेशनल ऑयल कंपनी (एडएनओसी) के बीच शनिवार को 10 फीसदी भागीदारी अधिग्रहण को लेकर समझौता हो गया.
गौरतलब है कि अबू धावी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का ही एक हिस्सा है जो गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) का सदस्य है. बता दें कि यूएई भारत को सबसे ज्यादा तेल की आपूर्ति करता है और यह भारत का दसवां सबसे बड़ा निवेशक देश भी है. ओएनजीसी (विदेश) के नेतृत्व में कंसोर्टियम ने हिस्सेदारी शुल्क के रूप में अरब अमीरात की मुद्रा में 2.2 अरब दिरहम यानी 60 करोड़ अमरीकी डॉलर का भुगतान किया . यह समझौता नौ मार्च 2018 से प्रभावी होगा और इस अनुबंध की अवधि 40 साल होगी.
बता दें कि ओएनजीसी विदेश की ओर से जो बयान जारी के अनुसार लोअर जाकुम तेल क्षेत्र से रोजाना चार लाख बैरल तेल का उत्पादन होता है, जबकि आगे 2025 तक इसे 4.5 लाख बैरल करने का लक्ष्य है.अब इस अनुबंध के बाद तेल क्षेत्र से उत्पादित कुल तेल का 10 फीसदी हिस्सा भारतीय तेल उत्पादक ओएनजीसी विदेश का अधिकार होगा.दूसरे शब्दों में कहें तो भारत का ओएनजीसी विदेश दस फीसदी का मालिक बन गया है.
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