युद्धग्रस्त यूक्रेन के साथ भारत ने किए 4 अहम समझौते, इन क्षेत्रों में एक-दूसरे की मदद करेंगे दोनों देश, रूस से भी बनी रहेगी दोस्ती

युद्धग्रस्त यूक्रेन के साथ भारत ने किए 4 अहम समझौते, इन क्षेत्रों में एक-दूसरे की मदद करेंगे दोनों देश, रूस से भी बनी रहेगी दोस्ती
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नई दिल्ली: बीते तीन सालों से युद्ध की मार झेल रहे यूक्रेन के साथ भारत ने कुछ अहम व्यापारिक और रक्षा समझौते किए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के हाल ही में हुए यूक्रेन दौरे पर इन समझौतों पर दस्तखत हुए हैं। हालाँकि, इस दौरान भारत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि, रूस की मित्रता भी उसके लिए अहम है, क्योंकि वो भारत को सस्ते दामों पर तेल देता है। यूक्रेन ने भी इसे भारत की आंतरिक रणनीति मानते हुए सहमति जताई।    

जिसके बाद भारत और यूक्रेन ने शुक्रवार (23 अगस्त) को चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए और रक्षा, व्यापार, फार्मास्यूटिकल्स, हरित ऊर्जा और शिक्षा सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में अपने सहयोग को बढ़ाने का संकल्प लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने द्विपक्षीय संबंधों को और विकसित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। अपनी व्यापक वार्ता में दोनों नेताओं ने संबंधों को व्यापक साझेदारी से बढ़ाकर रणनीतिक साझेदारी बनाने की दिशा में काम करने में पारस्परिक रुचि भी जताई।  रक्षा सहयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी और जेलेंस्की ने भारत में सैन्य हार्डवेयर के विनिर्माण के लिए संयुक्त सहयोग और साझेदारी सहित इस क्षेत्र में मजबूत संबंध बनाने की दिशा में काम करने पर सहमति व्यक्त की।

प्रधानमंत्री मोदी आज शनिवार (24 अगस्त) की सुबह एक विशेष रेलगाड़ी से कीव पहुंचे। यह 1991 में यूक्रेन के स्वतंत्र होने के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा है। यद्यपि मोदी-ज़ेलेंस्की वार्ता मुख्यतः रूस-यूक्रेन संघर्ष पर केंद्रित रही, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चर्चा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा द्विपक्षीय संबंधों पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि व्यापार, आर्थिक मुद्दों, रक्षा, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, शिक्षा आदि पर चर्चा हुई। विदेशमंत्री ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि दोनों नेताओं ने भारत-यूक्रेन अंतर-सरकारी आयोग को विशेष रूप से व्यापार और आर्थिक संबंधों के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने का कार्य सौंपा। एक संयुक्त बयान में कहा गया कि वार्ता में यूक्रेन ने संशोधित एवं विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अपना समर्थन दोहराया। वार्ता के बाद हस्ताक्षरित चार समझौते कृषि, खाद्य उद्योग, चिकित्सा, संस्कृति और मानवीय सहायता के क्षेत्रों में सहयोग प्रदान करेंगे।

दोनों देशों के संयुक्त बयान में कहा गया कि, "नेताओं ने व्यापार और वाणिज्य, कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, रक्षा, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के अलावा डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, उद्योग, विनिर्माण, हरित ऊर्जा आदि जैसे क्षेत्रों में मजबूत साझेदारी की संभावना तलाशने पर चर्चा की।" इसमें कहा गया है कि युद्ध के बाद 2022 से द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय कमी आने के मद्देनजर नेताओं ने अंतर-सरकारी आयोग (IGC) के सह-अध्यक्षों को निर्देश दिया कि वे न केवल द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों को पूर्व-संघर्ष स्तर पर बहाल करने के लिए सभी संभावित तरीकों का पता लगाएं, बल्कि उन्हें और विस्तारित और गहरा करें।

इसमें कहा गया कि मोदी और जेलेंस्की ने आपसी आर्थिक गतिविधियों और निवेश के लिए कारोबार को आसान बनाने के महत्व पर जोर दिया, साथ ही अधिक व्यापार के लिए किसी भी बाधा को दूर करने पर भी जोर दिया। दोनों पक्षों ने संयुक्त परियोजनाओं, सहयोगों और उपक्रमों की संभावना तलाशने के लिए आधिकारिक और व्यावसायिक स्तरों पर अधिक सहभागिता को प्रोत्साहित करने का भी निर्णय लिया। आधिकारिक बयान में आगे कहा गया कि, "फार्मास्युटिकल उत्पादों में सहयोग को साझेदारी के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक मानते हुए, नेताओं ने परीक्षण, निरीक्षण और पंजीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से अधिक बाजार पहुंच और निवेश और संयुक्त उद्यमों की सुविधा की इच्छा की पुष्टि की।"

दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के कानूनी ढांचे के विस्तार, विशेष रूप से निवेशों के पारस्परिक संरक्षण, तथा शैक्षिक दस्तावेजों और डिग्रियों की पारस्परिक मान्यता की संभावना तलाशने के संबंध में कार्य में तेजी लाने पर सहमति व्यक्त की। भारत और यूक्रेन ने उच्च शिक्षा संस्थानों की शाखाएं खोलने की संभावना तलाशने का निर्णय लिया। दोनों पक्षों ने यूक्रेन के पुनर्निर्माण और पुनरुद्धार में उपयुक्त तरीके से भारतीय कंपनियों की भागीदारी की संभावना का पता लगाने पर सहमति व्यक्त की। पीएम मोदी ने ज़ेलेंस्की को भारत आने का निमंत्रण भी दिया। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि मोदी और जेलेंस्की ने आतंकवाद की स्पष्ट निंदा की। 

इसमें कहा गया कि, "उन्होंने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ बिना किसी समझौते के लड़ाई का आह्वान किया, तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आधार पर इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के महत्व पर ध्यान दिलाया।" दोनों पक्षों ने समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिम्बित करने तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के मुद्दों से निपटने में इसे अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण एवं प्रभावी बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में व्यापक सुधार का भी आह्वान किया।

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