भारत ने स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु के बलिदान के उपलक्ष्य में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया। 1931 में आज ही के दिन युवा स्वतंत्रता सेनानियों को लाहौर की एक जेल में फांसी दी गई थी। उनके बलिदान का सम्मान करने के लिए पूरे भारत में यह दिवस मनाया जाता है और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु अपने शुरुआती 20 में थे जब तीनों ने राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि इन महान सपूतों की कुर्बानी देश की हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, शहादत दिवस पर आजादी के क्रांतिकारियों, शहीद वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को सलाम। भारत माता के इन महान सपूतों का बलिदान देश की हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा बना रहेगा। जय हिंद!
महान स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया की जयंती पर उनका सम्मान किया गया। उन्होंने अपने तेज और प्रगतिशील विचारों से देश को नई दिशा देने का काम किया। उन्होंने कहा, राष्ट्र के लिए उनका योगदान देशवासियों को प्रेरित करता रहेगा। उत्तर प्रदेश के अकबरपुर के एक छोटे से शहर में जन्मे लोहिया ने भारत में ब्रिटिश शासन के अंतिम चरण के दौरान कांग्रेस रेडियो के साथ काम किया जो 1942 तक बंबई के विभिन्न स्थानों से प्रसारित किया गया। लोहिया 1962 के आम चुनाव में नेहरू से हार गए थे लेकिन 1963 में उपचुनाव जीतकर लोकसभा में प्रवेश किया था।
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