नई दिल्ली: भारतीय वैज्ञानिक समुदाय ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा भारत के चौथे चंद्र मिशन को मंजूरी दिए जाने पर उत्साह व्यक्त किया है, और कहा है कि देश अब चाँद पर ‘अंतरिक्ष यात्री’ भेजने के करीब है। अहमदाबाद के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि चंद्रयान-4 मिशन, जो चाँद पर सफल लैंडिंग और चाँद के नमूने वापस लाने पर केंद्रित होगा, भारतीय अंतरिक्ष यात्रा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि भारत अब चाँद पर अंतरिक्ष यात्री भेजने से ज्यादा दूर नहीं है।
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद, मोदी कैबिनेट ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस मिशन के साथ-साथ वीनस ऑर्बिटर मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के विकास, और अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान के विकास की योजनाओं को भी मंजूरी मिली है। खगोलशास्त्री प्रोफेसर आरसी कपूर ने बताया कि चंद्रयान-4 एक चंद्र नमूना वापसी मिशन होगा, जिसे दो रॉकेटों का उपयोग करके पूरा किया जाएगा। पहला रॉकेट चाँद पर लैंडर और ऑर्बिटर भेजेगा, जबकि दूसरा रॉकेट नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाएगा। चंद्रयान-4 की लॉन्चिंग 2027 में होने की उम्मीद है। इस मिशन में एक रोबोटिक आर्म चाँद से नमूने एकत्र करेगा और उन्हें वापस पृथ्वी पर भेजेगा।
इसके अतिरिक्त, ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS-1) के पहले मॉड्यूल को लॉन्च करने की योजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य चाँद पर लैंडिंग और वापसी की तकनीक का प्रदर्शन करना है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन 2040 तक एक अंतरिक्ष यात्री को चाँद पर भेजने का है, और इसके लिए तकनीकी विश्वास होना आवश्यक है। अब सवाल यह उठता है कि मोदी सरकार की अंतरिक्ष नीति के तहत, क्या भारत चाँद पर इंसान भेजने और इतिहास रचने के लिए तैयार है? यह वाकई में एक ऐतिहासिक क्षण होगा।
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