भारत दे रहा उधार बिजली, तब बांग्लादेश में हो रहा उजाला, हज़ारों करोड़ रूपए बाकी

भारत दे रहा उधार बिजली, तब बांग्लादेश में हो रहा उजाला, हज़ारों करोड़ रूपए बाकी
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नई दिल्ली: भारत की बिजली कंपनियों का बांग्लादेश पर 9500 करोड़ रूपए से अधिक का बकाया है, जो कि बांग्लादेश में हाल ही में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद से अटका हुआ है। इस बकाया में सबसे बड़ा हिस्सा अडानी पावर का है, लेकिन इसके बावजूद भारतीय कंपनियां बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति जारी रख रही हैं, जो दोनों देशों के पुराने संबंधों को देखते हुए किया जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश पर अडानी पावर, PTC इंडिया, NTPC, SEIL, और पॉवर ग्रिड जैसी कंपनियों का कुल मिलाकर लगभग 1.15 बिलियन डॉलर (लगभग 9600 करोड़) का बकाया है। इनमें से सबसे बड़ा हिस्सा अडानी पावर का है, जिसका बकाया लगभग 800 मिलियन डॉलर (लगभग 6700 करोड़) है। इसके बाद SEIL एनर्जी का लगभग 150 मिलियन डॉलर (लगभग 1200 करोड़) और PTC इंडिया का 84.5 मिलियन डॉलर (लगभग 600 करोड़) बकाया है। NTPC की तीन यूनिट्स का भी कुल 100 मिलियन डॉलर (लगभग 800 करोड़) का बकाया है।

भारतीय बिजली कंपनियों का यह बकाया 30 जून, 2024 तक का है। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन और बढ़ते उधार के बावजूद, भारतीय कंपनियां अब भी बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति कर रही हैं। हालांकि, अगर बकाया बढ़ता है, तो इन कंपनियों को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। अडानी पावर झारखंड के गोड्डा में स्थित 1.6 गीगावाट क्षमता के प्लांट से बांग्लादेश को बिजली देता है, जिसका उत्पादन जनवरी 2023 में शुरू हुआ था। PTC इंडिया और NTPC भी बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति कर रही हैं। NTPC का बांग्लादेश में स्थित प्लांट 1300 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पन्न करता है, जो कि बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।

बांग्लादेश की वर्तमान आर्थिक स्थिति और सत्ता में बदलाव के कारण इन बकायों का भुगतान गंभीर समस्या बनता जा रहा है। बांग्लादेश की नई सरकार ब्याज दरें बढ़ाने की योजना बना रही है, ताकि महंगाई पर काबू पाया जा सके, और साथ ही देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी संकट मंडरा रहा है। इसके लिए बांग्लादेश ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी मदद मांगी है। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और सड़कों पर लगातार बढ़ती अशांति के कारण भी देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। यह स्थिति भारतीय बिजली कंपनियों के लिए चुनौतियां पैदा कर रही है, खासकर जब इतनी बड़ी राशि बकाया है।

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