नई दिल्ली: सूखे और भीषण गर्मी से बचाव के लिए बारिश कराने की तकनीक पर पहले से ही चर्चा होती रही है, और भारत, चीन जैसे देशों ने इसमें विशेषज्ञता भी प्राप्त कर ली है। अब भारतीय वैज्ञानिक बारिश को रोकने या टालने की तकनीक पर काम कर रहे हैं, जो एक नई दिशा में प्रगति को दर्शाता है। इस नई तकनीक का उद्देश्य उन शहरों में बारिश को रोकना या टालना है जहां कोई बड़ा आयोजन हो, जैसे स्वतंत्रता दिवस, या जहां भारी बारिश से बाढ़ जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। यह तकनीक उन हालात को संभालने में मदद कर सकती है। वर्तमान में इस परियोजना पर अर्थ और विज्ञान मंत्रालय के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं, और अगले एक से डेढ़ साल में इस दिशा में ठोस प्रगति की उम्मीद जताई जा रही है।
इस तकनीक को 'मौसम जीपीटी' के नाम से जाना जा रहा है, और इसका उद्देश्य मौसम की भविष्यवाणी को और सटीक बनाना है। यदि भारत इस तकनीक में सफलता प्राप्त करता है, तो यह विश्व में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी और मौसम से जुड़े बदलावों को नियंत्रित करने में भारत अन्य देशों से आगे निकल जाएगा। इसके अतिरिक्त, मौसम जीपीटी के तहत पांच साल के भीतर भूगर्भ विज्ञान मंत्रालय एक चैट जीपीटी की तरह का ऐप विकसित करने की योजना बना रहा है, जिसे मौसम जीपीटी नाम दिया जाएगा। यह ऐप लोगों को मौसम के बदलावों की जानकारी आसानी से प्रदान करेगा, और इस पर मौसम की जानकारी लिखित और ऑडियो फॉर्मेट में उपलब्ध होगी।
वर्तमान में क्लाउड सीडिंग तकनीक का उपयोग बारिश को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, और इसे अमेरिका, कनाडा, चीन, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में लागू किया गया है। इस तकनीक के विकसित होने से बाढ़ जैसी स्थितियों से निपटने में मदद मिल सकती है और इससे मौसम से जुड़ी अन्य समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
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