नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने रूसी कोयले के लिए काफी दिक्कतें पैदा कर दी हैं। अब रूसी कोयले की डिमांड यूरोप के आकर्षक बाजारों में घट रही है और रूस को अब भारत जैसे कुछ खरीददारों की तरफ मुड़ना पड़ रहा है। रूसी कोयला भंडार के दो अधिकारियों ने बताया कि यूरोप के बाजारों में जहां रूसी कोयले को बहुत ऊँचे दामों पर खरीदा जाता है, वहां हाल के दिनों में कोयले की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई है। रूसी कोयला अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि जर्मनी अभी भी रूसी कोयला खरीद रहा है, मगर पोलैंड ने रूसी कोयले की खरीद अप्रैल में बंद कर दी है।
यूरोपीय देश रूस पर प्रतिबंधों के हिस्से के तौर पर अगस्त से रूसी कोयला खरीदना बंद कर देंगे। इसके बाद यूरोप अपनी आवश्यकता के लिए कोयला दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से खरीद सकता है। इस बीच रूस भी अपने कोयले के लिए बाजार खोज रहा है। भारत के रूप में उसे एक बड़ा बाजार मिला है, मगर यहां रूसी कोयले को उतना भाव नहीं मिलता, जितनी यूरोप के बाजारों में मिलती है। भारत रूस से वर्तमान में कम दाम पर बेहद कम कोयला खरीदता है। जबकि तुर्की इसका एक बड़ा खरीदार बना हुआ है।
बता दें कि रूस, विश्व के शीर्ष तीन कोयला निर्यातक देशों में शामिल है। मगर, वो अपने इस बड़े उद्योग को प्रतिबंधों से बचा पाने में नाकाम नज़र आ रहा है। युद्ध की वजह से रूस का स्टील उद्योग भी प्रभावित हो रहा है। मगर रूस ने पैलेडियम धातु का खनन कम नहीं किया है जिससे स्पष्ट होता है कि इस उद्योग पर युद्ध के प्रतिबंधों का प्रभाव काफी कम पड़ा है। कोयले पर प्रतिबंधों के चलते रूस को रियायती बाजार तलाश करने पड़ रहे हैं। इस बीच जापान और दक्षिण कोरिया ने भी रूसी कोयले पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना ली है।
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