नई दिल्ली: चीन में कोरोना नियंत्रण से बाहर हो चुका है और इससे पूरे विश्व की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इस महीने की शुरुआत में चीन द्वारा सख्त कोरोना नियमों में अचानक रियायत देने के बाद बुखार की दवाओं और वायरस परीक्षण किट की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ, जिससे इबूप्रोफेन (Ibuprofen) और पैरासिटामोल दवाओं की भारी कमी हो गई है। इस बीच भारत ने पड़ोसी मुल्क की इस संकट से निपटने में मदद के लिए हाथ बढ़ाया है और कहा है कि भारत, बुखार की इन दवाओं का निर्यात बढ़ाने को तैयार है।
दरअसल, कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण चीन में बुखार की सामान्य दवाओं की डिमांड बहुत बढ़ गई है। आलम यह हो गया है कि, सिरदर्द की दवा इबूप्रोफेन (Ibuprofen) और बुखार की दवा पैरासिटामोल (Paracetamol) का कोटा सीमित करना पड़ा है। बढ़ते कोरोना के कहर और इन आवश्यक दवाओं की किल्लत दूर करने में भारत ने चीन का सहारा देने की बात कही है। फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (Pharmexcil) का कहना है कि हम इन दोनों दवाओं का एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
Pharmexcil के चेयरपर्सन साहिल मुंजाल (Sahil Munjal) ने जानकारी दी है कि चीन से इन दोनों दवाओं की पूछताछ हमारे पास आ रही है। वहां, फिलहाल इन दोनों ही दवाओं की डिमांड आसमान छू रही है और इनकी भारी कमी हो गई है। इस बारे में विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) की ओर से कहा गया है कि भारत पूरे विश्व में जेनेरिक दवाओं के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है और इस संकट की घड़ी में चीन की सहायता करने के लिए तैयार है। बता दें कि, भारत ने पहले भी कोरोना काल में कई देशों की मदद की थी, लेकिन चीन जिस तरह से भारतीय सीमाओं पर हरकतें करता रहता है, उससे दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हैं। लेकिन, इसके बावजूद भारत ने सर्वे भवन्तु सुखिनः के अपने सांस्कृतिक सिद्धांत का पालन करते हुए चीन को मदद की पेशकश की है। अब देखना ये है कि, क्या इसके बाद चीन के व्यव्हार में कोई परिवर्तन आता है या नहीं ?
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