बाली घोषणा पत्र से अलग रहा भारत

बाली घोषणा पत्र से अलग रहा भारत
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नुसा डुआ (बाली) : प्राण जाए पर वचन न जाए यह हमारे देश की विशेषता रही है. इसका ताज़ा सबूत तब देखने को मिला जब भारत ने बाली के नुसा डुआ में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में म्यांमार के खिलाफ पारित निंदा प्रस्ताव से खुद को अलग रख कर अपनी वचन बद्धता निभाई और म्यांमार के साथ अपनी मजबूत होती दोस्ती का इजहार किया. इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में राखिने प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ भड़की हिंसा पर म्यांमार की निंदा की गई है.

गौरतलब है कि इन दिनों भारत का एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल 'वर्ल्ड पार्ल्यामेंट्री फोरम' में हिस्सा लेने के लिए लोक सभा स्पीकर  सुमित्रा महाजन के नेतृत्व में इंडोनेशिया की यात्रा पर गया हुआ है. यहाँ म्यांमार के खिलाफ यह निंदा प्रस्ताव पारित किया गया. इस 'बाली घोषणा पत्र' से भारत ने खुद को अलग रखा.

इस बारे में लोक सभा सचिवालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यहाँ आयोजित हुई फोरम के निष्कर्ष चरण में म्यांमार पर जो प्रस्ताव पारित किया गया. यह पहले से तय कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था. इसीलिए भारत ने इसमें शामिल नहीं हुआ. भारत ने जोर देकर कहा कि इस पार्ल्यामेंट्री फोरम का उद्देश्य दीर्घकालिक विकास के लक्ष्यों पर चर्चा करना था. भारतीय प्रतिनिधिमंडल के इस रुख से यह साबित हो गया कि भारत म्यांमार से मजबूत रिश्ते चाहता है.स्मरण रहे कि पीएम मोदी कल ही म्यांमार की दो दिवसीय सफल यात्रा के बाद स्वदेश लौटे हैं.

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दिनों से म्यांमार के राखिने प्रांत में कट्टरपंथियों के कारण हिंसा बढ़ गई है. म्यांमार सरकार की कट्टरपंथियों के खिलाफ की जा रही दमन की कार्यवाही से यहाँ बसे रोहिंग्या मुसलमान सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं.

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