मुंबई: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 15 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'बटेंगे तो कटेंगे' नारे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस नारे का गलत अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। गडकरी ने कहा कि यह नारा भारतीयों के बीच एकता को बढ़ावा देने के लिए था और इसका उद्देश्य आतंकवाद और देश के दुश्मनों के खिलाफ एकजुट होने का संदेश देना था।
उन्होंने बताया कि भारत में हमारी पूजा पद्धतियां अलग हो सकती हैं, जैसे कुछ लोग मंदिर, मस्जिद या चर्च जाते हैं, लेकिन हम सभी भारतीय हैं और हमें एकजुट होकर आतंकवाद और अन्य खतरों से मुकाबला करना चाहिए। गडकरी ने यह भी कहा कि कुछ लोग इस नारे से गलत अर्थ निकाल रहे हैं, जो दुख की बात है। उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यनाथ ने यह नारा बांग्लादेश के हालातों को देखते हुए हिंदू एकता के लिए दिया था। जैसे बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा बिना जाति देखे सिर्फ धर्म देखकर हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है, ऐसे कट्टरपंथियों के खिलाफ हिन्दुओं को भी जातिगत भेदभाव छोड़कर एकजुट होने की जरूरत है। बांग्लदेश में तो हिन्दू, सिख, ईसाई और बौद्ध भी एक हो चुके हैं, क्योंकि वे समझ चुके हैं कि उन सभी का दुश्मन भी एक ही है और वे एक रहेंगे तो ही सुरक्षित रहेंगे। लेकिन विपक्षी नेताओं ने इस नारे की आलोचना की है और इसे सांप्रदायिक रूप से प्रेरित बताया है।
महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों पर गडकरी ने भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के महायुति गठबंधन की जीत का भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन महाराष्ट्र में निर्णायक बहुमत से जीतने जा रहा है। गडकरी ने विश्वास व्यक्त किया कि कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच विचारों का मेल नहीं होने के कारण इस बार वे चुनाव नहीं जीत पाएंगे। गडकरी ने महायुति सरकार के मुख्यमंत्री के चयन पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान और चुनाव के बाद चुने गए प्रतिनिधि मिलकर मुख्यमंत्री का चयन करेंगे। यह चुनाव एकनाथ शिंदे, अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में हो रहे हैं, और निर्णय पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिया जाएगा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होंगे, और मतगणना 23 नवंबर को होगी। चुनाव प्रचार जोरों पर है, और दोनों प्रमुख गठबंधन मतदाताओं को लुभाने में जुटे हुए हैं।
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