वाशिंगटन: भारत ने यूनाइटेड नेशंस में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और संगठित अपराध की मिलीभगत का मुद्दा उठाया. भारत ने कहा कि इस गठजोड़ का सबसे बड़ा उदाहरण पाकिस्तान और दाऊद इब्राहिम है, जो 1993 में मुंबई बम ब्लास्ट के बाद से ही पाकिस्तान में छिप कर रह रहा है. भारत ने कहा है कि जब विश्व अपनी इच्छा शक्ति के दम पर ISIS का सफाया कर सकता है, तो दाऊद इब्राहिम और डी कंपनी का खात्मा क्यों नहीं किया जा सकता है.
बॉर्डर पार आतंकवाद और क्राइम सिंडिकेट की चर्चा करते हुए भारत ने कहा कि भारत बॉर्डर पार से प्रायोजित दहशतगर्दी का भुक्तभोगी रहा है. भारत की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि, "भारत, बॉर्डर पार आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार रहा है, हम संगठित अपराध और आतंकवाद के गठजोड़ के हानिकारक नतीजों को भुगतते आए हैं, ये क्राइम सिंडिकेट डी कंपनी का है, जो सोने और नकली नोटों की तस्करी किया करता था और ऐसा करते करते ये एक आतंकवादी संगठन के तौर पर विकसित हुआ और 1993 मुंबई बम विस्फोटों को अंजाम दिया."
पाकिस्तान की तरफ स्पष्ट इशारा करते हुए भारत ने कहा कि इस हमले में 250 निर्दोष लोग मारे गए, अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ. भारत ने कहा कि, "इस अपराध को अंजाम देने वाले लोगों को पड़ोसी देश में पनाह मिली हुई है, जो हथियारों और ड्रग्स के कारोबार का केंद्र है. इस देश में कई ऐसे आतंकी और आतंकी संगठन पनप रहे हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंधित कर दिया है."
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