नई दिल्ली: जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिया गया मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा शुक्रवार को वापस ले लिया है। किन्तु , अगर आंकड़ों पर गौर करें, तो इसका पाकिस्तान पर कोई खास प्रभाव नहीं दिख रहा है, बल्कि उल्टे भारत को ही इससे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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दरअसल, वित्त वर्ष 2017-18 में भारत और पाकिस्तान के बीच कुल कारोबार 2.4 अरब डॉलर का रहा था, जो भारत के कुल कारोबार के 0.5 प्रतिशत से भी कम है। भारत ने वित्त वर्ष 2017-18 में पाकिस्तान को 1.9 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया, जो देश के कुल निर्यात के एक प्रतिशत से भी कम है। वहीं इसी वित्त वर्ष में भारत ने पाकिस्तान से 48.8 करोड़ डॉलर (करीब 3,482.3 करोड़ रुपए) का सामान आयात किया, जो भारत के कुल आयात के 0.2 प्रतिशत से भी कम है। इस तरह हमे पता चलता है कि भारत सरप्लस में है। मतलब पाकिस्तान के साथ उसका आयात कम, जबकि निर्यात ज्यादा है। वित्त वर्ष 2015-16 में पाकिस्तान, भारतीय कपास का सबसे बड़ा आयातक रहा था। वित्त वर्ष 2017-18 में भारत-पाकिस्तान के मध्य हुआ कुल व्यापर वित्त वर्ष 2016-17 में 2.27 अरब डॉलर के अनुपात में बढ़कर 2.41 अरब डॉलर का रहा था।
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भारत के इस ऐक्शन के उत्तर में पाकिस्तान के पास बहुत कुछ करने के लिए नहीं है। इसका कारण यह है कि पाक ने भारत को कभी मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया ही नहीं है। पाकिस्तान ने 1,209 उत्पादों के भारत से आयात पर पहले ही रोक लगा रखी है। अटारी-वाघा रूट के माध्यम से केवल 138 चीजें ही भारत से पाक को निर्यात की जाती हैं। मुख्य तौर पर भारत से पाकिस्तान को कॉटन, डाई, केमिकल्स, सब्जियां, लोहा और इस्पात का निर्यात करता है।
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