भारतीय पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह की धोनी विकेट के पीछे की अहमियत और उनकी नेतृत्व क्षमता एक बार फिर से देखने को मिली. महेंद्र सिंह धोनी अब भारतीय टीम के कप्तान नहीं हैं. लेकिन विकेट के पीछे वे अब भी कप्तानी करते हुए नजर आते है. विकेटकीपर की भूमिका में उनकी समझ का कोई जवाब नही है. विकेट के पीछे उनकी समझ इतनी है कि युवा गेंदबाजों के लिए मददगार साबित होती हैं. दूसरी ओर विरोधी टीम के बल्लेबाजों को काफी परेशानी में डाल देती है.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच वनडे मैचों की सीरीज में भारत ने पहला मुकाबला जीतकर सीरीज में 1-0 से बढ़त बना ली है. भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया था जिसमे भारत ने 50 ओवर में सात विकेट के नुकसान पर 281 रन बनाये थे. ऑस्ट्रेलिया को डकवर्थ लुइस मैथड के आधार पर 21 ओवरों में 164 रनों का निर्धारित लक्ष्य रखा गया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की टीम 21 ओवरों में कुल 137 रन ही बना सकी. भारत ने ये मैच 26 रन से जीत लिया.
लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब बैटिंग कर रहे ग्लेन मैक्सवेल टीम इंडिया के लिए खतरा बनते दिखे. ऐसे समय में धोनी ने विकेट के पीछे से कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल को लगातार बताते रहे कि उन्हें गेंद कहां डालनी चाहिए. जिसे विकेट के पीछे लगे माइक ने पकड़ लिया, धोनी कह रहे थे कि, 'वो मारने वाला डाल ना, अंदर या बाहर कोई भी.' धोनी ने चहल और कुलदीप से ऐसा कहा- 'घूमने वाला डाल, घूमने वाला.' 'स्टंप पे मत डाल. इसको इतना आगे नहीं.' चहल को कहा- 'तू भी नहीं सुनता है क्या? ऐसे-एसे डालो.' नतीजा ये रहा मैकक्सवेल 39 रन बनाकर आउट हो गए. जिससे भारत को मैच जीतने का रास्ता साफ हो गया.
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