नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच बर्मिंघम में खेले गए चैंपियन ट्रॉफी के मुकाबले से पहले लोगो में इस मैच को लेकर जमकर रोमांच था. लोगो को उम्मीद थी कि यह मैच कांटे का होगा और लड़ाई आखिरी गेंद तक जारी रहेगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. भारत और पाकिस्तान का मुकाबला हमेशा दोनों देशो के लिए इज्जत का सवाल रहा है लेकिन इस बार पाकिस्तान टीम में वो जूनून और जज्बा देखने को नहीं मिला जिसके लिए वह पहचानी जाती है.
टॉस जीतकर जब पाकिस्तान ने पहले गेंदबाजी का फैसला लिया तो लगा कि 28 महीने बाद भारत का सामना करने वाली पाक टीम अपनी गेंद की धार से भारतीय बल्लेबाजों को कड़ी चुनौती देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पाकिस्तानी गेंदबाज भारतीय बल्लेबाजों को सामने घुटने टेकते हुए नज़र आए. जिस तरह से पाकिस्तानी खिलाडी विकेट के लिए तरस रहे थे और आसान से कैच छोड़ रहे थे उसी से साफ दिख रहा था कि मानो पाकिस्तान ने हथियार डाल दिए हो.
जिस तरह से भारतीय बल्लेबाजों के विकेट गिरे उसे देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि यह पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने लिए बल्कि भारतीय बल्लेबाजो ने अपनी गलती से विकेट गंवाए. भारत की बैटिंग देखकर लोगो ने अंदाज़ा लगाया कि बर्मिंघम के एजबेस्टन मैदान की पीच बल्लेबाजों के लिए फायदेमंद है लेकिन पाकिस्तानी बल्लेबाज अजहर अली को छोड़कर कोई बल्लेबाज क्रीज पर टिक नहीं पाया.
एक भी बार ऐसा नहीं लगा कि वो भारत के खिलाफ मैच जीतने के लिए बल्लेबाजी कर रहे हैं. एक-के-बाद एक विकेट गिरते चले गए और चैंपियंस ट्रॉफी के इतिहास में पाकिस्तान को भारत के हाथों 124 रनों से करारी हार झेलना पड़ी.
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