आपने यह बात कभी नहीं सुनी होगी और यह सुनकर आपको अजीब भी लग रहा होगा की यह कैसे हो सकता है। लेकिन अगर वैज्ञानिकों की माने तो यह बात सही है। भूवैज्ञानिकों को ऐसे सबुत मिले है जिससे इस परिकल्पना को समर्थन मिला है। की अरबो साल पहले भारतीय उपमहाद्वीप अंटार्कटिका का हिस्सा हुआ करता था। मानव जाती के विकास से पहले विवर्तिक प्लेटो के स्थान में परिवर्तन के कारण यह कई बार अलग हुआ और फिर एक साथ हो गया।
पृथ्वी के बहरी पटल के विकास का अनुसंधान करने वाले भारत और स्विट्जरलैंड के भूवैज्ञानिकों के एक समूह ने पूर्वी घाट क्षेत्र में महाद्वीपीय पार्ट के पुराने चट्टानों का अध्ययन किआ है जिसमे महाद्वीपो के गठन के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण साबुत भी मिले है।
अनुसन्धान की अगुवाई करने वाले आईआईटी खड़गपुर के भूवैज्ञानिक का कहना है की पहली बार हम इस परिकल्पना को साबित करने में सफल रहे है की अंटार्कटिका महाद्वीप और भारतीय उपमहाद्वीप एक समय में एक बड़े महाद्वीप के रूप में थे। और करीब डेढ़ साल पहले ये एक दूसरे से लग हो गए थे। भारत और अंटार्कटिका को एक सागर ने अलग किया, उनके अनुसन्धान को हाल ही में अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
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