नई दिल्ली: यूक्रेन के साथ युद्ध की वजह से वैश्विक प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस ने भारत को कम कीमत पर क्रूड ऑयल खरीदने का ऑफर दिया था। भारत सरकार इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है। अब अमेरिका ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर भारत रूस से क्रूड ऑयल खरीदता है, तो यह अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं होगा। वहीं, दूसरी ओर, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर (6,101 करोड़ रुपए) की मदद देने का ऐलान किया है।
रूस से क्रूड आयल खरीदने को लेकर व्हाइट हाउस (White House) की प्रेस सचिव जेन साकी (Jen Psaki) ने मंगलवार (15 मार्च) को कहा कि रूस से कम कीमतों पर तेल खरीदना अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं है। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका इन प्रतिबंधों का पालन करने के लिए सभी राष्ट्रों से अनुरोध करेगा। जेन ने कहा कि प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं होने के बाद भी जब मौजूदा दौर का इतिहास लिखा जाएगा तो इसे रूसी हमले का समर्थन माना जाएगा।
बता दें कि भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर रूस से सैन्य आपूर्ति पर काफी निर्भर है। वहीं, भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद डॉ एमी बेरा ने रूस से भारत द्वारा कम कीमत पर तेल खरीदे जाने की खबरों पर निराशा जताते हुए कहा कि इतिहास के इस नाजुक मोड़ पर जब पूरे विश्व के लोग रूसी हमले के खिलाफ यूक्रेन के साथ खड़े हो रहे हैं, तब भारत पुतिन के पक्ष में खड़ा नज़र आएगा।
बता दें कि भारत में रोज़ तक़रीबन 45 लाख बैरल तेल की खपत होती है। भारत अपनी आवश्यकता का तक़रीबन 80 फीसद तेल इम्पोर्ट करता है और अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 तक कुल 17.6 करोड़ टन कच्चे तेल का इम्पोर्ट किया था। इसमें से करीब 2 फीसद खरीद ही रूस से होती रही है। यूक्रेन संकट के बाद पूरे विश्व में क्रूड आयल की कीमतों में करीब 40 फीसद की वृद्धि हो गई है। ऐसे में रूस द्वारा रूस द्वारा दिया गया सस्ते क्रूड आयल को खरीदना भारत की एक तरह मजबूरी है।
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