प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर हैं और उन्होंने कई महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लिया है। इस दौरान उन्होंने क्वाड समिट में भाग लिया और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ एक अहम द्विपक्षीय बैठक की। इस बैठक में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा और वैश्विक सुरक्षा को लेकर कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। इसके अलावा, दोनों देशों ने कई बड़े रक्षा समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं। आइए, इस दौरे की महत्वपूर्ण बातों पर एक नजर डालते हैं:
1. MQ-9B ड्रोन की खरीदारी: प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन के बीच हुई बैठक में 31 MQ-9B गार्जियन ड्रोन की खरीदारी की सराहना की गई। इन एडवांस्ड ड्रोन्स से भारत की सुरक्षा और निगरानी क्षमता को मजबूती मिलेगी। इनमें से 16 ड्रोन स्काई गार्डियन (हवाई सुरक्षा के लिए) और सी गार्डियन (समुद्री सुरक्षा के लिए) होंगे। इस समझौते से भारत को अपनी हवाई और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में और अधिक प्रभावी सहायता मिलेगी।
2. सेमीकंडक्टर प्लांट की स्थापना: प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन के बीच कोलकाता में एक सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट स्थापित करने पर भी चर्चा हुई। यह प्लांट सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देगा, जो कि एडवांस्ड सेंसिंग, नेक्स्ट जनरेशन टेलीकम्युनिकेशन और ग्रीन एनर्जी में मददगार होगा। इस कदम से भारत और अमेरिका के बीच तकनीकी सहयोग और मजबूत होगा, जिससे भारत को टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
3. रक्षा सहयोग और को-प्रोडक्शन: दोनों नेताओं ने इंडिया-अमेरिका डिफेंस इंडस्ट्रियल कोऑपरेशन रोडमैप को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। इसके तहत जेट इंजन, हथियारों और ग्राउंड मोबिलिटी सिस्टम का संयुक्त उत्पादन किया जाएगा। साथ ही, समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने के लिए मानव रहित सतही वाहनों का निर्माण भी होगा। इस सहयोग से भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाई मिलेगी।
4. MRO (मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल) सेक्टर में बदलाव: प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में MRO सेक्टर (मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉलिंग) में सुधार करने की बात कही। उन्होंने इस क्षेत्र में जीएसटी की दरें 5% तक कम कर दी हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश करने का अवसर मिलेगा। अमेरिकी कंपनियों ने भारत में ड्रोन और अन्य रक्षा उपकरणों की मरम्मत और मेंटेनेंस के लिए बड़ी निवेश योजनाएं बनाई हैं।
5. C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान समझौता: लॉकहीड मार्टिन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स ने भारत में C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान की MRO सुविधा स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। यह न केवल भारतीय फ्लीट के लिए सहायक होगा, बल्कि इससे ग्लोबल ऑपरेटर्स की जरूरतों को भी पूरा किया जा सकेगा। इस कदम से भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और देश में नई तकनीकों का विकास होगा।
6. INDUS-X इनोवेशन और सहयोग: 2023 में शुरू किए गए इंडिया-यूएस डिफेंस एक्सलरेशन इकोसिस्टम (INDUS-X) के तहत दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाया जाएगा। हाल ही में सिलिकन वैली में आयोजित INDUS-X समिट से भारत के iDEX (Innovations for Defence Excellence) और यूएस डिफेंस इनोवेशन यूनिट (DIU) के बीच सहयोग को बढ़ावा मिला है। इस साझेदारी के तहत भारत और अमेरिका मिलकर अंडर-सी कम्युनिकेशन और मेरिटाइम आईएसआर तकनीक पर काम करेंगे।
7. द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास और लायजन ऑफिसर्स: दोनों देशों ने आपसी सैन्य अभ्यास को और बढ़ाने का निर्णय लिया है। भारत-अमेरिका के बीच जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज "टाइगर ट्रायम्फ" 2024 का आयोजन किया जाएगा, जो कि अब तक का सबसे बड़ा द्विपक्षीय, ट्राई-सर्विस एक्सरसाइज होगा। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच लायजन ऑफिसर्स तैनात करने का भी निर्णय लिया गया है, जिससे यूएस स्पेशल ऑपरेशन कमांड (SOCOM) के साथ रियल-टाइम सहयोग और बेहतर होगा।
8. साइबर स्पेस डिफेंस में सहयोग: प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन ने साइबर स्पेस में सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया। नवंबर 2024 में होने वाले साइबर एंगेजमेंट में साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण, थ्रेट इन्फोर्मेशन शेयरिंग और महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, दोनों देशों ने स्पेस सुरक्षा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
भविष्य की दिशा: भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग से दोनों देशों को तकनीकी और सैन्य दृष्टि से और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। इस सहयोग से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। दोनों देशों के बीच इनोवेशन और म्यूचुअल डिफेंस पर फोकस से वैश्विक सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
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