वाशिंटन: दिनों दिन बढ़ते जा रहे ईरान और अमेरिका के बीच तनाव और युद्घ जैसी बनती जा रही स्थिति ने भारत की उलझन के साथ-साथ परेशानी भी बढ़ा दी है. वहीं खासतौर से अपने प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के विरुद्ध ईरान की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई के बाद भारत को स्थिति के और बदतर होने का डर सता रहा है. जंहा हालात सुधरने की स्थिति में नहीं है और भारत के सामने खाड़ी देशों में काम कर रहे अपने करीब एक करोड़ नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की चुनौती खड़ी होगी. इसके अलावा इसका सीधा असर तेल आयात, व्यापार सहित अन्य क्षेत्रों में पड़ेगा.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत की मुश्किल यह है कि उसके ईरान के साथ-साथ अमेरिका से भी बेहतर रिश्ते हैं. ईरान ने भारत को अफगानिस्तान तक सीधी पहुंच देने और खाड़ी देशों से द्विपक्षीय व्यापार के लिए चाबहार बंदरगाह उपलब्ध कराया. जंहा यह हालांकि अमेरिकी प्रतिबंध के बाद जब भारत ने ईरान से तेल आयात बंद किया तो दोनों देशों के रिश्ते में थोड़ी खटास आई. जंहा अब स्थिति के और बिगड़ जाने और युद्घ तक की नौबत आ जाने के बाद भारत की उलझन और बढ़ गई है. वहीं इस बात पर भी गौर फ़रमाया गया है कि कूटनीतिक परिस्थिति ऐसी है कि भारत किसी एक पक्ष में खड़ा नहीं हो सकता. जबकि ईरान भारत से बड़ी सहायता का उम्मीद पाले बैठा है.
नागरिकों की सुरक्षा की चिंता: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बात का पता चला है कि ईरान की जवाबी कार्रवाई ने भारत की चिंता में बढ़ोत्तरी की है. अगर युद्घ की नौबत आई तो खाड़ी के सभी देशों (पश्चिम एशिया) पर इसका प्रतिकूल प्रभाव होगा. ऐसे में भारत की पहली चुनौती इन देशों में कार्यरत अपने एक करोड़ नागरिकों की सुरक्षा और रोजगार की चिंता प्राथमिकता के आधार पर तय करनी होगी. चूंकि भारतीय नागरिक सभी खाड़ी देशों में हैं, ऐसे में विकट परिस्थति में इतनी बड़ी संख्या में अपने नागरिकों की सुरक्षा या सकुशल स्वदेश वापसी बड़ी चुनौती बन कर खड़ी हो जाएगी. इन नागरिकों का सीधा जुड़ाव देश की अर्थव्यवस्था पर है. ऐसे में अगर इनके रोजगार गए तो पहले से मुश्किलों की दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था पर और प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
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