'आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार पर प्रभावी कार्रवाई कर रहीं भारतीय एजेंसियां..', FATF ने रिपोर्ट को दी मंजूरी, कोई लाल झंडा नहीं

'आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार पर प्रभावी कार्रवाई कर रहीं भारतीय एजेंसियां..', FATF ने रिपोर्ट को दी मंजूरी, कोई लाल झंडा नहीं
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नई दिल्ली: सिंगापुर में चल रहे वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के पूर्ण अधिवेशन में भारत पर पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है और धन शोधन एवं आतंकवाद के वित्तपोषण संबंधी उपायों के मामले में भारत की कार्रवाइयों की सराहना करते हुए उसे ‘अनुपालन योग्य’ पाया गया है। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि, "अंतर-सरकारी संगठन, जो अंतर्राष्ट्रीय धन शोधन विरोधी मानक और आतंकवाद के वित्तपोषण विरोधी उपाय निर्धारित करता है, को भारत की प्रक्रियाओं में कोई लाल झंडा (यानी कोई गलती) नहीं मिला है।"

यह निर्णय एक वर्ष की लंबी प्रक्रिया के बाद आया है, जिसके दौरान FATF की एक टीम ने देश के उपायों के मूल्यांकन के लिए नई दिल्ली का दौरा किया था और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की थी। एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पिछले दशक में धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में FATF को अवगत कराने के लिए अप्रैल में सिंगापुर का दौरा भी किया था। प्रवर्तन निदेशालय (ED), आयकर विभाग, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), तथा वित्त एवं विदेश मंत्रालय के अधिकारियों वाली भारतीय टीम ने मूल्यांकन पर आमने-सामने परामर्श के लिए अप्रैल में सिंगापुर का दौरा किया था।

अधिकारियों ने बताया कि आपसी मूल्यांकन रिपोर्ट शुक्रवार शाम को जारी की जाएगी। पिछली बार 2010 में नई दिल्ली ने ऐसी समीक्षा की थी और वह पहले से ही अनुपालन श्रेणी में है। भारत का पारस्परिक मूल्यांकन सितंबर 2020 के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन महामारी के कारण इसमें देरी हुई। अधिकारियों ने बताया कि भारत सरकार ने FATF और समकक्षों को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) में उल्लेखनीय संशोधनों, पिछले 10 वर्षों में 5,000 से अधिक धन शोधन मामलों के पंजीकरण, 755 व्यक्तियों की गिरफ्तारी और 1.21 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों की कुर्की के बारे में अवगत कराया, जिसे असरदार कार्रवाई माना गया।

पिछली समीक्षा के बाद से एक महत्वपूर्ण परिवर्तन PMLA के तहत "राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्ति" को परिभाषित करना रहा है, जिसकी सिफारिश FATF द्वारा की गई थी। इसके अलावा, भारत सरकार ने गैर-सरकारी संगठनों और क्रिप्टो मुद्राओं को इसके अंतर्गत लाने के लिए PMLA के दायरे को बढ़ाया है, ताकि आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों (VDA) के माध्यम से अवैध वित्तीय लेनदेन पर नजर रखी जा सके।अधिकारियों ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी फिनटेक कंपनियों की जांच बढ़ा दी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे धन शोधन निरोधक कानून के प्रावधानों का पालन कर रही हैं और वह संदिग्ध लेनदेन पर नजर रख रही है।

भारत सरकार ने स्थानीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय कानून की प्रक्रिया से बचने वाले आर्थिक अपराधियों को रोकने के लिए  2018 में एक नया कानून भी बनाया है। भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018, 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वाले मामलों में विदेश में अपराध की आय और परिसंपत्तियों की गैर-दोषी आधारित कुर्की और जब्ती के लिए अधिकारियों को अधिकार देता है। इसी कानून के तहत भगोड़े विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी की हज़ारों करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त कर ली गईं हैं। उल्लेखनीय है कि, FATF अपनी सिफारिशों के कार्यान्वयन का आकलन करने के लिए प्रत्येक सदस्य देश की समकक्ष समीक्षा करता है तथा प्रत्येक देश की प्रणाली का गहन विवरण और विश्लेषण प्रदान करता है।

2019 में, भारत सरकार ने FATF विशेषज्ञों के साथ प्रस्तुतियाँ देने, चर्चा करने और उन्हें जानकारी देने के लिए 22 केंद्रीय जांच, खुफिया और नियामक एजेंसियों का एक संयुक्त कार्य समूह गठित किया था। इस प्रक्रिया में शामिल एजेंसियों में ED, आयकर विभाग, DRI, CBI, वित्तीय खुफिया इकाई, सीमा शुल्क, बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, बैंकिंग नियामक RBI और भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण शामिल हैं।

पिछले कुछ वर्षों में, ED ने सरकार और नियामक प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन करके धन शोधन में शामिल व्यापारियों, राजनेताओं और कंपनियों के खिलाफ आक्रामक तरीके से कार्रवाई की है, जबकि कई राजनीतिक दलों, वकीलों और व्यापारियों ने PMLA के प्रावधानों को "कठोर" बताया है। हालाँकि, अदालतों ने अधिकांश गिरफ्तारियों और अभियोजन शिकायतों को बरकरार रखा है, जो आरोपपत्र के बराबर हैं। दरअसल, इस समय भारत में जो भी नेता भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहा है, वो केंद्रीय एजेंसियों पर सवाल उठ रहा है, और उनके दुरूपयोग के दावे कर रहा है। हालाँकि, अदालतों में ऐसा कुछ भी साबित नहीं हुआ है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी FATF की जांच रिपोर्ट का कहना है कि, भारतीय एजेंसियां, आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्डरिंग और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर प्रभावी कार्रवाई कर रहीं हैं।   

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