नई दिल्ली: आज देश में भारतीय वायुसेना स्थापना दिवस (Indian Airforce Foundation Day) मनाया जा रहा है। भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को की गई थी और इस साल इसका 92वां स्थापना दिवस है। भारतीय वायुसेना न केवल भारत के वायुक्षेत्र की सुरक्षा करती है, बल्कि आपदा प्रबंधन और मानवीय मिशनों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विदेशी धरती पर फंसे भारतीयों को निकालना हो या देश में एयरलिफ्ट अभियान चलाना हो, वायुसेना हर मोर्चे पर अपने कर्तव्यों को निभाती आई है।
स्वतंत्रता से पहले इसे "रॉयल इंडियन एयरफोर्स" के नाम से जाना जाता था। 1945 के द्वितीय विश्व युद्ध में इसने अहम योगदान दिया था। स्वतंत्रता के बाद, 1950 में इसे "इंडियन एयरफोर्स" के नाम से जाना जाने लगा। भारतीय वायुसेना ने स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान के साथ चार युद्धों और चीन के साथ एक युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई है। इसके अलावा, यह संयुक्त राष्ट्र (UN) के शांति मिशन में भी योगदान करती रही है। भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन विजय (गोवा का अधिग्रहण), ऑपरेशन मेघदूत (सियाचिन में सैन्य अभियान), ऑपरेशन कैक्टस और ऑपरेशन पुमलाई जैसे कई ऐतिहासिक मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
भारतीय वायुसेना का नेतृत्व एयर चीफ मार्शल करते हैं, जो चार सितारा कमांडर होते हैं। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है, और यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है। वायुसेना में करीब 1,70,000 जवान और 1,350 लड़ाकू विमान शामिल हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, भारतीय वायुसेना ने जापानी सेनाओं के खिलाफ बर्मा में महत्वपूर्ण हवाई हमले किए। भारतीय पायलटों ने माई हंग सन और थाइलैंड में जापानी सैन्य ठिकानों पर हमले किए। इस वीरता के चलते 1945 में भारतीय वायुसेना को "रॉयल" की उपाधि दी गई थी।
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में, भारतीय वायुसेना ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अहम भूमिका निभाई। युद्ध के दौरान, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी वायुसेना के 94 विमान गिराने का दावा किया, जिनमें से 54 एफ-86 सेबर लड़ाकू विमान थे। इस युद्ध में वायुसेना ने 6,000 से ज्यादा उड़ानें भरीं और थल सेना और नौसेना को अहम समर्थन दिया। इसके अलावा, लोंगेवाला की लड़ाई में वायुसेना ने 29 पाकिस्तानी टैंक और 40 बख्तरबंद गाड़ियां ध्वस्त कर दी थीं। युद्ध के अंतिम समय में वायुसेना ने पाकिस्तानी सेना पर आत्मसमर्पण के लिए पर्चे गिराए थे, जिसके बाद इतिहास का सबसे बड़ा सरेंडर हुआ था। इस दौरान पाकिस्तानी सेना की पैंट रिमूवल सेरेमनी की गई थी, जिसका मतलब है, आत्मसमर्पण करने के बाद सैनिकों की पैंट उतारने की रस्म। साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के बाद, भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों की पैंट उतारी थी। इस दौरान, सैनिकों को उलटा लिटाकर उनकी पैंट उतारी जाती थी। भारतीय सेना ने पूरे 93000 पाकिस्तानी सैनिकों को पेण्ट उतारकर जिन्दा छोड़ा था।
The great ceremony of removing pants of coward Pakistan Army was conducted in Decca Bangladesh ???????? in 1971 after humiliating and the most insulting defeat to Pakistan Army by Indian army.
— Umair (@Umair2023_) June 3, 2024
The biggest Bayghairat Gen Niazi was the first one to get laid by Indian army and his pant… pic.twitter.com/PRce5cZUy5
1984 में, ऑपरेशन मेघदूत के तहत भारतीय वायुसेना ने सियाचिन पर विजय प्राप्त करने के लिए हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल कर भारतीय सैनिकों को वहां तैनात किया। यह ऑपरेशन बेहद कठिन था, लेकिन वायुसेना ने अदम्य साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया, जिसके चलते भारत ने सियाचिन पर अपने नियंत्रण को साबित किया। भारतीय वायुसेना का शौर्य और बलिदान समय-समय पर देश की रक्षा और आपदा प्रबंधन में देखा जा सकता है। चाहे दुश्मन के खिलाफ हवाई हमले हों या प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्य, भारतीय वायुसेना ने सदैव अपने वीरता और समर्पण का परिचय दिया है।
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