म्यांमार से 200+ मैतई लोगों को वापस लाइ भारतीय सेना, मणिपुर में संघर्ष के बाद कर दिया था पलायन

म्यांमार से 200+ मैतई लोगों को वापस लाइ भारतीय सेना, मणिपुर में संघर्ष के बाद कर दिया था पलायन
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इम्फाल: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शुक्रवार को बताया कि भारत से पलायन कर म्यांमार जाने के तीन महीने बाद, 200 से अधिक मैतई को सुरक्षित रूप से मणिपुर वापस लाया गया है। उन्होंने इन मैतई लोगों को राज्य में वापस लाने में सेना के प्रयास की भी तारीफ की। सीएम बीरेन सिंह ने 200 से अधिक मेइतियों की वापसी के लिए आभार व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। उन्होंने मेइती लोगों की उनके गृह नगर में सुरक्षित वापसी में सहायता के लिए भारतीय सेना के प्रयासों की सराहना की।

एक रिपोर्ट के अनुसार, 3 मई को मैतई और कुकी समुदाय के बीच हुई झड़प के बाद से 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई सौ घायल हुए हैं। बता दें कि, मणिपुर और म्यांमार 390 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं और रिपोर्ट के अनुसार, मोरेह सेक्टर के साथ 10 किमी लंबी बाड़ बनाई जा रही है। मणिपुर की आबादी में लगभग 53 प्रतिशत मैतेई लोग शामिल हैं और ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और अधिकतर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। 

हालाँकि, मणिपुर का घाटी वाला इलाका केवल 10 फीसद है, जिसमे 53 फीसद मैतई समुदाय को रहना पड़ता है, जबकि कूकी-नागा को पूरा 90 फीसद पहाड़ी इलाका मिला हुआ है। मणिपुर में यह नियम है कि, मैतई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में खेत, संपत्ति नहीं खरीद सकते और न ही वहां बस सकते हैं। दोनों समुदायों में संघर्ष की एक वजह यह भी है। क्योंकि, मैतई को वहां जनजाति (ST) का दर्जा प्राप्त नहीं है, जबकि वे मणिपुर के परंपरागत निवासी हैं, यही दर्जा प्राप्त करने के लिए उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। जब हाई कोर्ट ने तमाम तथ्य देखने के बाद मैतई समुदाय को ST का दर्जा दे दिया, तो कूकी और नागा भड़क गए, जिसके बाद मणिपुर में संघर्ष शुरू हुआ। बता दें कि, मैतई, मणिपुर में रहने वाले काफी पुराना समुदाय है, उन्हें पहले जनजाति ही माना जाता था, जो वैष्णव यानी हिन्दू ही हैं, जबकि कूकी-नागा आदिवासियों में से अधिकतर को मिशनरियों ने ईसाइयत में धर्मान्तरित कर दिया है। 

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