नई दिल्ली। इन दिनों भारत जम्मू कश्मीर, राजस्थान, पंजाब आदि सीमाक्षेत्रों में पाकिस्तान और अन्य सटे हुए देशों से कथित तौर पर खतरे के अंदेशों का सामना कर रहा है। जहां पाकिस्तान कई बार सीज़फायर का उल्लंघन कर चुका है तो दूसरी ओर चीन भी भारत के अरूणाचल प्रदेश में अक्सर सीमा क्षेत्र में दाखिल हो जाता है। आतंकवाद का सामना करने को लेकर भारत वैश्विक तौर पर अहम माना जाता है। ऐसे में अमेरिकी सरकार के साथ 737 मिलियन के रक्षा सौदे के तहत 18 मई को भारत में पहले दो हाट्टिजर का आना बेहद महत्वपूर्ण समझा जा रहा है।
भारत अब चीन को जवाब देने में लगा है। चीन से सटी भारतीय सीमाओं पर स्ट्राईक काॅर्प अपनी एक्सरसाईज़ की तैयारी में है। भारतीय सेना मौजूदा समय में पाकिस्तान की सीमा के साथ लगने वाली 778 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेला पर व्यस्त नज़र आ रही है। माना जा रहा है कि यहां पर भारतीय सेना आतंकवाद और कथित पाकिस्तानी आक्रमण का सामना करने की तैयारी में है। भारत अपना एयर डिफेंस मजबूत करने में लगा है। तो दूसरी ओर इन्फ्रेंटी की तैयारियां अधिकारियों द्वारा की जा रही हैं।
बख्तरबंद वाहन इस क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं। वायुसेना ने 17 काॅर्पस को तैयार कर लिया है तो दूसरी ओर 72 इन्फ्रेंटी डिविज़न अपना आॅपरेशन चलाने में लगा है। थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा कि 17 काॅर्पस में नए हथियार एयर डिफेंस और इंजीनियर्स ब्रिगेड्स को लद्दाख से अरूणाचल प्रदेश तक फैलाया जाना है।
भारत द्वारा ब्रह्मोस मिसाईल, न्यूक्लियर बैलेस्टिक मिसाईल, टैंक आदि के साथ अभ्यास किया जा रहा है। सेना अपने तोपखाने को मजबूत करने में लगी है। भारतीय थल सेना के अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने बताया कि अरूणाचल प्रदेश तक इंजीनियर ब्रिेगेड को बढ़ाया जाएगा। अब भारत के पास लाईन आॅफ एक्चुअल कंट्रोल के साथ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चीन को धमकी देने के लिए 145 एम 777 अल्ट्रा लाइट हाईटिजर्स की प्रक्षेपित तकनीक आ चुकी है। इससे भारत का डिफेंस मजबूत होगा।
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