सेना में जवानों को घटिया खाना देने की शिकायत के बाद अब एक बार फिर सेना की अव्यवस्था सामने आई है.पठानकोट में तैनात मोहम्मद अब्बास(25 ) अपनी मां के शव को कंधे पर लेकर भीषण बर्फबारी के बीच अपने पैतृक गांव की ओर बढ़ रहे हैं, जहां उन्हें मां का अंतिम संस्कार करना है. उनके साथ 50 और लोग हैं. अब्बास का आरोप है कि उन्हें सैन्य प्रशासन ने हेलीकॉप्टर नहीं दिया.
मिली जानकारी के अनुसार पंजाब के पठानकोट में तैनातअब्बास की मां सकीना बेगम उनके साथ ही रहती थी. 28 जनवरी को उनकी मां का निधन हो गया. वे मां का अंतिम संस्कार पैतृक गांव करनाह में करना चाहते हैं, जो कुपवाड़ा सैक्टर में एलओसी पर स्थित है.इस बारे में अब्बास के भाई शाह नवाज ने बताया कि हम पहले जम्मू पहुंचे और बाद में श्रीनगर, जहां मां के शव को ले जाने के लिए सेना ने हेलीकॉप्टर देने का वादा किया था, लेकिन सुविधा नहीं दी गई. बाद में अब्बास और मैं, शव के साथ कुपवाड़ा के लिए रवाना हुए, ताकि आगे मदद मिल जाए, लेकिन नहीं मिली.जबकि कुपवाड़ा जिले के अधिकारियों के अनुसार अब्बास को हेलीकॉप्टर की पेशकश की गई थी, लेकिन उसके परिवार ने लेने से इंकार कर दिया जबकि अब्बास ने इसे गलत बताया.
नवाज ने आगे बताया कि वे चित्रकूट से अपने रिश्तदारों और कुछ मजदूरों के साथ द्रांगियारी से कुपवाड़ा के लिए रवाना हुए. वहां मौसम बेहद खराब था, लेकिन गांवों वालों ने काफी मदद की. वहां भी हम लगातार कॉल करते रहे और चार दिनों तक चॉपर का इंतजार किया, लेकिन सेना ने नहीं भेजा. हम पैदल ही वहां से निकल पड़े. हम बीते 10 घंटों से चल रहे हैं. हमें 30 किलोमीटर चलना है. दूसरी ओर कुपवाड़ा के सेना अधिकारी का कहना है कि चॉपर यहां से भेज दिया गया है और जल्द ही वहां पहुंच जाएगा.
भीषण बर्फबारी के बीच करीब 50 किलोमीटर की ट्रैकिंग में 10 घंटों से ज्यादा का समय लग सकता है. वे 6 फीट बर्फ में घिरे हाइवे से गुजरने जा रहे हैं, जहां थोड़ी ही दूरी पर कुछ दिन पहले हिमस्खलन के चलते करीब 20 सैनिकों की मौत हो चुकी है.नवाज ने कहा कि द्रांगियारी की आर्मी यूनिट ने हमारी मदद की. हम कुल 50 लोग हैं, जिसमें 40 लोग रास्ता बना रहे हैं और 10 लोग मां के शव को कंधे पर लेकर आगे बढ़ रहे हैं
बर्फ के निचे दबने के बाद निकाले गए पांचो जवान हुए शहीद
हाफिज की नजरबंदी को पाक ने बताया राष्ट्रहित, नहीं चाहता है भारत से युद्ध
.