अगर बात की जाए सुरक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण चीन सीमा से लगी जोहर घाटी के लास्पा गाड़ (गधेरा) पर पक्का पुल न होने कारण भारतीय सेना के जवानों को जान-जोखिम में डालकर सीमा तक पहुंचना पड़ता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की इसी मार्ग से सेना रसद सामग्री और हथियार सीमा पर पहुंचाती है। इसके अलावा यही नहीं, घाटी के नौ माइग्रेशन गांवों के लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही वर्तमान में पक्के पुल के अभाव में चीन से लगी भारतीय सीमा में लास्पा गाड़ के अस्थायी पुल से ही सैनिक और स्थानीय लोग आवाजाही करने को पूरी तरह मजबूर हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की बारिश और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण लास्पा गाड़ का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। इससे ये अस्थायी पुल कभी भी बह सकता है। इसके अलावा बताया जा रहा है की यहां हर साल बरसात में यह अस्थायी पुल ध्वस्त हो जाता है। वहीं यहां पर पक्का पुल न होने से माइग्रेशन गांवों के ग्रामीणों के साथ-साथ भारतीय फौज और आईटीबीपी के जवान जान हथेली पर रखकर नदी पार करते हैं।
वहीं इसी मार्ग से सेना रसद सामग्री और हथियार सीमा पर पहुंचाती है। इसके साथ ही यहां पर पुल के निर्माण को लेकर लोनिवि गंभीर नहीं है।आपकी जानकारी के लिए बता दें की इसका खामियाजा जोहार घाटी के गांव मिलम, बुर्फू, बिल्जू, टोला, लास्पा, मरतोली, पाछू, गनघर, मापा, ल्वागांव को भी भुगतना पड़ रहा है।आपकी जानकारी के लिए बता दें की वर्ष 2019 में हुई भयानक बर्फबारी के कारण यहां पर पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। इसके बाद यहां पर अस्थायी पुल का निर्माण किया गया था, परन्तु ये अस्थायी पुल अब पूरी तरह जर्जर हो गया है। इसके बाद भी यहां पर पक्के पुल का निर्माण नहीं किया गया है । इसके साथ ही लोनिवि के जेई महेश कुमार का कहना है कि शीघ्र ही जर्जर पुल को ठीक कर लिया जाएगा।
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