नई दिल्ली: शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद महिलाओं को स्थाई कमीशन नहीं देने को लेकर कोर्ट ने थल सेना को लताड़ लगाई है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आपने कोर्ट की अवमानना की है, फिर भी एक अवसर आपको दिया जा रहा है. इससे पहले शीर्ष अदालत ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा था कि सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन मिलना चाहिए. महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता.
कोर्ट के इस फैसले के बाद कई महिलाओं को सेना ने स्थाई कमीशन दे दिया है, किन्तु कुछ महिलाओं को मेडिकल या किसी अन्य कारण से स्थाई कमीशन नहीं दिया गया है. ऐसी 72 महिलाओं ने शीर्ष अदालत में कोर्ट की अवमानना की याचिका दायर की है. इस मामले में शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने सेना के रवैए पर खूब खरी-खोटी सुनाई. हालांकि आज सेना के वकील ने कोर्ट से कहा कि हम उन 11 महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने के लिए तैयार हैं, जिन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है.
अदालत ने कहा कि कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी सेना महिलाओं को तकनीकी कारणों का हवाला देकर स्थाई कमीशन नहीं दे रही है. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रथम दृष्टया नजर आ रहा है कि अदालत के आदेश की अवमानना हुई है, फिर भी हम एक अवसर देते हैं कि सेना अपनी गलती को सुधार ले. सेना की ओर से फिर बताया गया कि फिलहाल 72 में से केवल 14 महिलाओं को मेडिकली अनफिट पाया गया है.
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