नई दिल्ली। अंतरिक्ष विज्ञान में अपने बढ़ते कदमों से भारत न केवल वैश्विक स्तर पर उपलब्धियां अर्जित कर रहा है बल्कि वह अपनी जमीन को दुश्मन से सुरक्षित रखने के लिए मिलने वाली अहम जानकारियां भी प्राप्त कर रहा है। जी हां, यही कुछ जानकारी मिली है इसरो द्वारा प्रक्षेपित किए गए कार्टोसेट 2 सीरिज़ के उपग्रह द्वारा कार्य करने के बाद। दरअसल कार्टोसैट 2 ई सीरीज़ के उपग्रह ने प्रक्षेपित होने के बाद कार्य करना प्रारंभ कर दिया।
इस उपग्रह के माध्मय से सीमावर्ती क्षेत्र की मैपिंग को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध करवा रहा है। भारत को मदद यह मिल रही है कि सैटेलाईट द्वारा समुद्र में निगाह रखी जा रही है। भारत ने अपनी क्षमता को इस कदर बढ़ा लिया है कि भारत आपातकालीन परिस्थिति में अग्नि 5 मिसाईल का उपयोग सैटेलाईट लाॅन्च करने में कर सकता है। कार्टोसेट 2 सीरिज़ का उपग्रह समुद्र में भी निगरानी रखकर वहां की जानकारी प्रदान कर सकता है। उल्लेखनीय है कि इसरो ने अधिकांशतः रिमोट सेंसिंग सैटेलाईट को ही पृथ्वी की कक्षा में तैनात किया।
भारतीय नौसेना जीसैट 7 के उपयोग से वॉरशिप, सबमरीन,एयरक्राफ्ट और लैंड सिस्टम्स में रियल टाइम टेलिकम्युनिकेशन का कार्य करती है। गौरतलब है कि जियो आॅर्बिट में कुछ सैटेलाईट को रखा गया है। डिफेंस टेक्नॉलजी एक्सपर्ट रवि गुप्ता ने कहा कि अग्नि.5 मिसाइल को सैटेलाइट लांच के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि अग्नि 5 बलिस्टिक मिसाइल को विकसित किए जाने की प्रक्रिया के दौरान हासिल की गईं तकनीकी क्षमताओं का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर सैटेलाइट लॉन्च ऑन डिमांड यानी मांग के अनुसार कभी भी सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए किया जा सकता है।
हालांकि विशेषज्ञों द्वारा कहा गया है कि भारत अंतरिक्ष के सुरक्षा कार्य में उपयोग के लिए निर्धारित किए गए पैमाने को नहीं तोड़ता है। ऐसे में अंतरिक्ष का सैन्यीकरण नहीं करता है। जिस तरह की तकनी का उपयोग भारत करना है वह रूस, अमेरिका और चीन के पास है। यह सैटेलाईट तकनीक ऐसी है जो दुश्मन के सैटेलाईट नष्ट तक कर सकती है।
ISRO ने लॉन्च किया PSLV-C38, 14 देशों के 31 सैटेलाइट के साथ भरी उड़ान
भारत ने छुआ सफलता का आसमान, इसरो ने लाॅन्च किए 31 सैटेलाईट
इसरो की सेटेलाइट बेस्ड चिप रोकेगी रेलवे समपार के हादसे