चोट से वापसी कर रहे और खराब फार्म से जूझ रहे इंडियन बैडमिंटन खिलाड़ियों को मंगलवार से यहां शुरू हो रही ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में खिताब के लिए देश का प्रतीक्षा समाप्त करने के लिए पूरे दमखम के साथ खेलना पड़ेगा। किसी इंडियन खिलाड़ी को इस प्रतिष्ठित खिताब को जीते हुए 22 वर्ष हो चुके है। पुलेला गोपीचंद (2001) ने महान प्रकाश पादुकोण (1980) का अनुसरण किया था और यह खिताब जीतने वाले दूसरे इंडियन बन गए थे। लक्ष्य सेन बीते सत्र में और साइना नेहवाल 2015 में फाइनल में पहुंचे थे लेकिन वे खिताब के सूखे को समाप्त करने में विफल रहे। दो बार की ओलंपिक पदक विजेता PV सिंधू इस टूर्नामेंट में सेमीफाइनल की बाधा को पार नहीं कर पाई। भारतीय खिलाड़ियों के लिए परिस्थितियां इस बार भी मुश्किल होने वाली है।
सेन और सिंधु दोनों चोट के कारण लंबे वक़्त तक खेल से दूर रहने के उपरांत वापसी पर नए सत्र की खराब शुरुआत भी कर ली है। दोनों मलेशिया और इंडिया ओपन में जल्दी बाहरहो चुके थे। विश्व रैंकिंग में 12वें स्थान पर काबिज सेन जर्मनी ओपन के पहले दौर में दुनिया के 41वें नंबर के खिलाड़ी फ्रांस के क्रिस्टो पोपोव से करारी शिकस्त के उपरांत इस टूर्नामेंट में उतर रहे हैं जबकि सिंधू अपने कोरियाई कोच पार्क ताए-संग कुछ सप्ताह पहले ही अगल हो गई थी।
सेन के सामने शुरुआती दौर में 5वीं रैंकिंग प्राप्त चीनी ताइपे के चाउ टिएन चेन की चुनौती होने वाली है जबकि सिंधू को चीन की झांग यी मान से भिड़ने वाली है। शीर्ष रैंकिंग की पूर्व खिलाड़ी साइना नेहवाल के सामने शुरुआती दौर में चीन की हान यूई की चुनौती होने वाली है। बीते कुछ समय में शीर्ष रैंकिंग के कई खिलाड़ियों को शिकस्त देने वाले नौवें स्थान के खिलाड़ी एचएस प्रणय से उलटफेर की उम्मीद बनी हुई है।
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