नई दिल्ली: मध्यम गति के तेज गेंदबाज बलविंदर सिंह संधू का क्रिकेट करियर काफी छोटा रहा है, किन्तु 36 वर्ष पहले भारत की विश्व कप जीत में उनका योगदान आज भी हैरान करता है. 1983 की विश्व कप विजेता टीम इंडिया में शामिल रहे संधू ने शानदार गेंदबाजी से अपने कप्तान को कभी निराश नहीं किया.
अगर वेस्टइंडीज के खिलाफ विश्व कप फाइनल की बात करें, तो कृष्णामाचारी श्रीकांत के 38 (मैच बेस्ट) रन, मिड ऑन से मिड विकेट की तरफ दौड़ते हुए कपिल देव द्वारा विव रिचर्ड्स के कैच लेने के अलावा मोहिंदर अमरनाथ की जादुई गेंदबाजी (12/3) यादगार सिद्ध हुई. किन्तु, जब भी फाइनल के 'मैजिक मोमेंट' की बात की जाती है, तो इस मुंबइया गेंदबाज संधू का शानदार प्रदर्शन भुला दिया जाता है.
ये वही संधू हैं, जिन्होंने 184 रनों के छोट लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंडीज टीम के धुरंधर ओपनर गॉर्डन ग्रीनिज (1 रन) को आउट कर भारत को पहली कामयाबी दिलाई थी. दरअसल, उस मैच में भारत को शुरुआती ब्रेकथ्रू की आवश्यकता थी, जिसे संधू ने पूरा किया और वे अपने कप्तान के भरोसे पर खरे उतरे थे. हालांकि विश्व कप के दौरान संधू ने 8 मैच में केवल 8 विकेट ही चटकाए थे, किन्तु हैरतअंगेज यह है कि उन्होंने जिस मैच संधू ने ब्रकेथ्रू दिलाया, भारतीय टीम ने वह मैच जीता. ऐसा भारत की रणनीति में भी ये बात शामिल था कि संधू ब्रेकथ्रू के लिए खेलें.
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