राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में बेहद ही खराब प्रदर्शन से निराश इंडियन पुरुष हॉकी टीम के कोच ग्राहम रीड ने अपने खिलाड़ियों की निंदा करते हुए बोला कि उनके पास मजबूत ऑस्ट्रेलिया को हराने के लिए जरूरी ऊर्जा और कौशल की कमी भी देखने के लिए मिली। एकतरफा फाइनल में इंडियन टीम को 7-0 से शर्मनाक हार के बाद सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा।
टोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता भारतीय टीम को हर विभाग में ऑस्ट्रेलिया ने बौना साबित किया। दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल 2010 की कड़वी यादें हॉकी प्रेमियों के जेहन में फिर ताजा हो गई जब फाइनल में आस्ट्रेलियाई टीम ने इंडिया को 8-0 से मात दी थी। रीड ने मैच ने उपरांत बोला गया, ‘ऊर्जा नाम की एक चीज होती है और मुझे नहीं लगता कि वह आज हमारे पर ही वह थी।' उन्होंने बोला है कि, ‘जब आप ऑस्ट्रेलिया से खेलते हैं तो कभी-कभी ऐसा हो सकता है। लेकिन मैं निराश हूं कि हम बिल्कुल भी अच्छा नहीं खेल सके। हमने खुद को नीचे दिखाया। मैच से पहले हमने जिन चीजों के बारे में बात की, वह नहीं कर पाए। यह निराशाजनक है।'
राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की इंडियन टीम पर यह तीसरी जीत है। टीम को इससे पहले दिल्ली और ग्लासगो (2014) में भी ऑस्ट्रेलिया से हरा दिया है। रीड ने दबाव के बारे में पूछे जाने पर बोला है कि, ‘बड़े स्तर पर दबाव हमेशा रहेगा। यह कभी दूर नहीं होगा। कौन जानता है कि इतिहास क्या है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। मैंने उनसे कहा कि सबसे अहम् बात यह है कि हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें और परिणाम खुद आने वाला है। जैसा कि मैंने बोला है कि हमें अभी बहुत सुधार करना है।'
सबसे अधिक निराशा पीआर श्रीजेश के रहे जो अपने आखिरी राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने जा रहे है। अगर श्रीजेश गोल के आगे नहीं होते तो हार का अंतर और ज्यादा होता। उनके लिए इस हार को पचा पाना कठिन था। उन्होंने बोला है, ‘हमने रजत मेडल नहीं जीता, हमने गोल्ड गंवाया। यह निराशाजनक है, लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों जैसे टूर्नामेंट में फाइनल में पहुंचना बहुत अच्छी बात है।'
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