जब भी भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों की बात होती है, तो सुनील गावस्कर, कपिल देव से लेकर सचिन और कोहली तक का नाम ज़ेहन में आ जाता है, लेकिन कुछ ऐसे भी प्लेयर्स हैं, जिन्होंने खेल तो बेहतरीन दिखाया, लेकिन उन्हें किस्मत का साथ नहीं मिल पाया और इस क्षेत्र में वहअपना नाम नहीं बना पाए ऐसा ही एक नाम है राजेंद्र गोयल का, जिन्होंने घरेलु क्रिकेट में करामाती प्रदर्शन किया. राजेंद्र गोयल 20 सितंबर 1942 को हरियाणा में जन्मे थे, इनके नाम रणजी ट्राफी में कई रिकॉर्ड दर्ज हैं, रणजी ट्रॉफी के इतिहास में सबसे अधिक 750 से ज्यादा विकेट लेने के बाद भी उन्हें कभी भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने का मौका नहीं मिला.
ऐसा नहीं है कि इनका टीम में चयन नहीं हुआ, उन्हें 1964-65 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट में हिस्सा लिया था, किन्तु यह अनाधिकारक टेस्ट मैच था. इसके बाद जिस वक़्त यह टीम में गए थे उस वक़्त बिशन सिंह बेदी का परचम लहरा रहा था, ऐसे में इनको खेलने का अवसर नहीं मिला. इस सिलसिले में उनसे एक बार इंटरव्यू में पूछा गया कि उनको टीम में किस वजह से नहीं चुना गया तो उन्होंने कहा कि, “मेरी किस्मत में टेस्ट क्रिकेट खेलना नहीं लिखा था. मुझे लगता है कि मैं गलत वक़्त पर पैदा हुआ था. मेरे खेलने के वक्त अलग-अलग जोन से खेलने वाले बाएं हाथ के अच्छे स्पिनर थे.”
आपको बता दें कि लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर भी राजेंद्र गोयल को अपना आदर्श मानते हैं. अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि जिस खिलाड़ी को टीम में स्थान नहीं मिला, इसको अपना आदर्श कोई कैसे मान सकता है. दरअसल, सुनील गावस्कर ने खुद अपनी किताब में इस बारे में बताया है, जहाँ उन्होंने 31 आदर्श लोगों का उल्लेख किया है. भले ही राजेंद्र ने कोई इंटरनेशनल मैच नहीं खेला ही, लेकिन उनका घरेलु प्रदर्शन बेहद शानदार रहा, इन्होने कुल 157 फर्स्ट क्लास मुकाबले खेले, जिसमे इन्होने 750 से अधिक विकेट झटके, इनका बेस्ट रहा, 55 रन देकर आठ विकेट लेना. 21 जून 2020 को बीमारी से जूझते हुए दुनिया को अलविदा कह दिया, इसके साथ ही भारतीय क्रिकेट का एक गुमनाम सितारा सदा के लिए अस्त हो गया.
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