नई दिल्ली: भारत और कनाडा के रिश्तों में बढ़ते तनाव के बीच, भारत ने कनाडा में कुछ वाणिज्य दूतावासों को बंद करने का फैसला लिया है। यह कदम 2 और 3 नवंबर को कनाडा के ब्रैम्पटन और सरे में खालिस्तान समर्थकों द्वारा भारतीय वाणिज्य दूतावासों पर हमले करने के बाद उठाया गया। इन हमलों के बाद यह भी सामने आया कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों ने इन दूतावासों को बुनियादी सुरक्षा भी नहीं मुहैया कराई थी।
टोरंटो स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने एक पोस्ट के जरिए बताया कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों की ओर से न्यूनतम सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थता व्यक्त करने के कारण यह निर्णय लिया गया है। 2 और 3 नवंबर को खालिस्तान समर्थित भीड़ ने ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में प्रवेश कर वहां मौजूद भक्तों पर हमला किया, लेकिन ओंटारियो प्रांत की पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। खालिस्तान समर्थक संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' ने दावा किया कि उनके समर्थक भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों का विरोध कर रहे थे, जो प्रशासनिक सेवाएं देने आए थे। इसके अलावा, भारतीय उच्चायोग ने कनाडा में रहने वाले भारतीय नागरिकों को आवश्यक सेवाएं प्रदान की, जिनमें से कुछ भारतीय विरोधी ताकतों के निशाने पर थे।
कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सुरक्षा मुहैया नहीं कराए जाने का मामला तब सामने आया, जब खालिस्तानी समर्थक भारतीय मूल के लोगों और भारत से जुड़े संगठनों को खुली धमकियां दे रहे थे। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनकी लिबरल पार्टी पर खालिस्तानी हमलों की निंदा न करने और अलगाववादी समूहों को संरक्षण देने का आरोप लगाया जा रहा है। इसके अलावा, खालिस्तानी समर्थकों के कनाडाई पुलिस सेवाओं में घुसपैठ करने के भी संकेत मिल रहे हैं।
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