कोलंबो : भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने लगातार दूसरे कार्यकाल के दौरान पहली यात्रा पर श्रीलंका पहुंचे हैं, जिसका उद्देश्य देश के नेतृत्व के साथ वार्ता के माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है। जयशंकर का कोलंबो पहुंचने पर विदेश राज्य मंत्री थारका बालासुरिया और पूर्वी प्रांत के गवर्नर सेंथिल थोंडमन ने गर्मजोशी से स्वागत किया।
गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आभार व्यक्त करते हुए जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ बैठकों के लिए अपनी उत्सुकता साझा की। उन्होंने भारत की पड़ोसी प्रथम और सागर नीतियों में श्रीलंका के महत्व को रेखांकित किया। भारत की 'पड़ोसी प्रथम' नीति पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण और पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंधों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जबकि सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सहयोग के लिए भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।
श्रीलंका की यह द्विपक्षीय यात्रा जयशंकर की दूसरी बार पदभार संभालने के बाद पहली आधिकारिक यात्रा है। इससे पहले, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में इटली में जी7 आउटरीच शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जयशंकर की श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ बैठक में व्यापक मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें भारत की पड़ोसी प्रथम नीति और श्रीलंका के प्रति उसकी स्थायी प्रतिबद्धता की पुष्टि होगी।
इस यात्रा से चल रही संपर्क परियोजनाओं में गति आने तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे दोनों समुद्री पड़ोसियों के बीच घनिष्ठ संबंध और मजबूत होंगे।उल्लेखनीय है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भारत के पड़ोस और हिंद महासागर क्षेत्र के उन प्रमुख नेताओं में शामिल थे, जो हाल ही में भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।
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