जयपुर: राजस्थान के जालौर जिले में 19 जून को आसमान से धमाके के साथ धरती पर गिरे उल्कापिंड को स्थानीय प्रशासन ने जांच के लिए संबंधित विभाग को बुधवार के हवाले कर दिया गया. यह विभाग इस उल्कापिंड की कीमत, उसकी संरचना, उसके महत्व के संबंध में अध्ययन करेगा. बता दें कि जालोर जिले के सांचौर इलाके में आसमान से गिरे उल्कापिंड को अनुसंधान के लिए जयपुर के भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग को सौंपा गया है.
अतिरिक्त जिला कलेक्टर सीएल गोयल ने वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक बिस्व रंजन मोहन्ति एवं समीर अवल को सांचौर में गिरे इस उल्कापिंड को जांच के लिए भेज दिया. बता दें कि भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग उल्कापिंड के संरक्षण के लिए भारत सरकार से नामित संस्था है. उल्कापिंड को भू-वैज्ञानिकों द्वारा लैब में विभिन्न जांचों द्वारा उल्कापिंड के तत्वों के संबंध में जांच की जाएगी. इसके पश्चात कोलकाता स्थित नेशनल मिटीयोराइट रिपोजिटरी में सुरक्षित रख दिया जायेगा.
इस बारे में भूगोल के प्रोफेसर मूलाराम बिश्नोई ने जानकारी देते हुए बताया है कि जहां तक हमें जानकारी मिली है यह एक धातु का टुकड़ा है. धातु मैटेलिक बॉडी, प्राकृतिक उल्कापिंड नहीं हो सकता. उन्होंने आगे कहा कि सौरमंडल में काफी सारे पिंड सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और कभी-कभार अनियंत्रित होकर जब वायुमंडल में आते हैं तो पृथ्वी की गुरुत्व शक्ति की वजह से तेजी से पृथ्वी की तरफ आते हैं.
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