नई दिल्ली: योग विस्मरण में दफन एक प्राचीन मिथक नहीं है, यह वर्तमान की सबसे बहुमूल्य विरासत है. यह आज की आवश्यकता है और कल की संस्कृति. योग 5000 वर्ष प्राचीन भारतीय ज्ञान का समुदाय है, यह सिर्फ शारीरिक कसरत भर नहीं बल्कि मन और आत्मा को एक साथ लाने का सर्वोत्तम साधन हैं. योग शब्द भारत से बौद्ध धर्म के साथ चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्री लंका में भी फैल गया है और इस समय सारे सभ्य जगत् में लोग इससे परिचित हैं, इतनी प्रसिद्धि के बाद पहली बार 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी है.
इसके बाद अब भारत ने भी अपनी इस पुरातन धरोहर को देश के सभी हिस्सों में लागू करने की कवायद में पहला कदम उठाया है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि सरकार ने छह केंद्रीय विश्वविद्यालयों का चयन किया है, जहां योग विभाग शुरू किए जाएंगे. मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने लोकसभा में यह जानकारी दी. इन विश्वविद्यालयों में विश्व भारती, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ केरल, इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी और मणिपुर यूनिवर्सिटी भी शामिल है.
सत्यपाल सिंह ने यह भी बताया कि यूजीसी ने इन विश्वविद्यालयों में योग विभाग को शुरू करने के लिए पहले ही मंजूरी दे दी है.सत्यपाल सिंह ने यह भी बताया कि देश में दिव्यांगों के लिए एक पूर्ण विश्वविद्यालय स्थापित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है. आपको बता दें 2011 जनगणना के अनुसार, देश में 2.68 करोड़ दिव्यांग हैं, जो देश की आबादी का 2.21 फीसदी हिस्सा हैं.
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तो इस प्रकार सकारात्मकता ही नकारात्मकता को दूर करती है