कोच्ची: यमन में एक भारतीय नर्स, निमिषा प्रिया, को फांसी की सजा सुनाई गई है। अदालत के आदेश के बाद यह सजा यमन के राष्ट्रपति राशद अल-अलीमी ने भी मंजूर कर ली है। निमिषा को 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। यमन की अदालत ने उन्हें 2020 में फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाल ही में नवंबर में अपील के बाद भी खारिज कर दिया गया था। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अगले एक महीने के भीतर सजा पर अमल हो सकता है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, निमिषा प्रिया पर आरोप है कि उन्होंने तलाल अब्दो मेहदी को ड्रग्स का ओवरडोज देकर उनकी हत्या कर दी। वहीं, निमिषा ने अपने बचाव में दलील दी है कि उनका इरादा हत्या करने का नहीं था। उन्होंने कहा कि तलाल ने उनका पासपोर्ट छीन लिया था, और वे उसे वापस पाने के लिए उसे बेहोशी की दवा देना चाहती थीं। लेकिन यह घटना उस व्यक्ति की मौत का कारण बन गई, क्योंकि गलती से दवा का ओवरडोज़ हो गया। वहीं, यह खबर केरल में रह रहे निमिषा के परिवार के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। उनकी मां प्रेमा कुमारी ने कहा कि अगर किसी की जान लेनी है तो उनकी ले ली जाए, लेकिन उनकी बेटी को बचा लिया जाए। पिछले कई वर्षों से परिवार ने हरसंभव कोशिश की, यहाँ तक कि यमन जाकर मृतक के परिवार से बातचीत और ‘ब्लड मनी’ (मुआवजा) के जरिए समझौता करने की कोशिश की। हालांकि, तमाम प्रयास विफल रहे।
दरअसल, केरल के पल्लकड़ जिले की निवासी निमिषा लगभग 10 वर्षों से इस्लामी मुल्क यमन में काम कर रहीं थीं, उनका परिवार भी उनके साथ था, जिसमे पति और बेटी शामिल थे। लेकिन, इस दौरान यमन में उग्रवादी सक्रीय हुए और गृह युद्ध शुरू हो गया, निमिषा का परिवार तो सुरक्षा कारणों के चलते भारत लौट आया, लेकिन निमिषा ना लौट सकी, क्योंकि उनका पासपोर्ट तलाल ने छीन लिया था। निमिषा किसी तरह वहां से निकलने की सोचने लगी और तलाल को बेहोश कर पासपोर्ट हासिल करने का प्लान बनाया। लेकिन निमिषा का ये प्लान तब फेल हो गया, जब उनके हाथों से बेहोशी की दवा अधिक मात्रा में चली गई और तलाल की मौत हो गई।
अब निमिषा हत्या मामले में दोषी करार दी जा चुकी हैं, अदालत और राष्ट्रपति ने उनकी फांसी मंजूर कर ली हैं, पर अब भी उनके परिवार को भारत सरकार से उम्मीदें हैं कि कोई रास्ता निकलेगा। वहीं, भारत सरकार ने इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाने का आश्वासन दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि सरकार निमिषा और उनके परिवार को हरसंभव सहायता देने का प्रयास कर रही है। हालांकि, यह मामला काफी पेचीदा है क्योंकि निमिषा पर हत्या जैसा गंभीर आरोप साबित हो चुका है।
गौरतलब है कि, यह पहली बार नहीं है कि किसी भारतीय को विदेशी धरती पर फांसी की सजा सुनाई गई हो। हाल ही में, कतर में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसरों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। उन पर आरोप था कि उन्होंने यहूदी देश इजराइल के लिए जासूसी की, जिसे कई मुस्लिम देश अपना दुश्मन मानते हैं। हालांकि, जासूसी के इन आरोपों का कोई ठोस सबूत नहीं था। इसके बाद भारत सरकार ने इस मामले में अपनी पूरी ताकत झोंककर उन अफसरों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की।
नौसेना के पूर्व अफसरों के मामले में उनके निर्दोष होने की गुंजाइश थी, लेकिन निमिषा प्रिया का मामला अलग है। उन पर हत्या का आरोप साबित हो चुका है, जो एक संगीन अपराध है। अगर निमिषा ने सचमुच हत्या की है, तो उनका समर्थन करना भारत की सत्य और न्याय आधारित संस्कृति के खिलाफ होगा। लेकिन अगर वे निर्दोष हैं, तो सरकार को उनकी वापसी के लिए हरसंभव प्रयास करना होगा।
यह देखना अहम होगा कि भारत सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है। यह केवल एक महिला की जान बचाने का सवाल नहीं है, बल्कि यह भी तय करेगा कि भारत अपनी विदेश नीति और नैतिक मूल्यों को कैसे संतुलित करता है। सत्य और न्याय के लिए खड़ा होना भारत की परंपरा है, और इस मामले में भी उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार पूरी सच्चाई के साथ न्याय करेगी।