भारत के लोग वैसे तो कई मामलो में आगे है परन्तु पर्यावरण के प्रति प्रेम में तो बात ही कुछ और है दरसअल भारतीय मूल की अमेरिकी वैज्ञानिक नलिनी नाडकर्णी जंगलों में रहकर जलवायु परिवर्तन के विषय पर अध्ययन कर रही हैं। प्राप्त जानकारी अनुसार कई वर्षो से से नलिनी कोस्टारिका के मॉन्टेवर्दे के जंगलों में रह रही हैं। सबसे खास बात यह कि जिस जंगल में पैदल चलना कठिन होता है, वहां नलिनी ऊंचे पेड़ों पर बैठकर क्लाइमेट चेंज पर शोध कर रही हैं।
जंगल के भविष्य को लेकर है चिंतित
नलिनी की माने तो उनके शोध का मुख्य विषय एपीफाइट्स है। फिलहाल वे कोस्टारिका के बादलों से घिरे जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र के विषय पर अध्ययन कर रही हैं। यहां के पेड़ सामान्य रूप से 1500-1800 मीटर तक लंबे होते हैं। पेड़ों की ऊंचाई इस बात पर निर्भर होती है कि वे कितना पानी और खनिज जमीन से खींच पाते हैं। मॉन्टेवर्दे के जंगलों में साल के ज्यादातर महीनों में बादल छाए रहते हैं। कोस्टारिका का यह जंगल दुनियाभर में मशहूर है लेकिन नलिनी इसके भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
कई हड्डियां टूटी
जानकारी के मुताबिक नलिनी की रीढ़ की हड्डी में कम से कम पांच से छह जगह चोट लग चुकी है। वही उनकी स्प्लीन भी खराब हो चुकी है। कमर की हड्डी भी तीन जगह से और 9 पसलियां टूट चुकी हैं। नलिनी कि माने तो उनका शेप बिगड़ चुका है लेकिन दिक्कतें शोध में आड़े नहीं आ सकतीं।
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