बड़ी मुसीबत है यार देश में, किसी को समझाने जाओ तो समझता ही नही है. उल्टा समझाने वाले पर बिगड़ जाता है, और इतना बिगड़ता है कि जैसे सब किया धरा उस बेचारे समझाने वाले का हो. लोग छोटी छोटी बातो को लेकर बतंगगढ़ बना देते है. अरे भाई कोई समझाओ इन लोगो को..... कि इससे किसी का भला नही हो रहा है. याररररर आखिर तुम कर क्या रहे हो ?.
अब राजनीती को ही ले लो, पार्टी किसकी है, उम्मीदवार कौन है, कौन कहा से चुनाव लड़ रहा है, उस सीट पर कौन जीतेगा, वो तो सरकार बना ही नही सकता, इस बार उसने अच्छा किया, उसने बुरा किया, वो तो मुझे पहले से ही पता था आदि तरह तरह की बाते लोगो को करते हुए देखी जा सकती है, जैसे पूरा एग्जिट पोल ये अपनी जेब में लेकर चल रहे हो. इनमे से आधे लोगो से पूछेगें कि आपने मतदान किया है???? तो उनका सीधा सा जवाब होगा अरे कहा..... किया. अब हम इन्हें मतदान का महत्व बताने जायेगे तो सौ प्रतिशत यह आपके ऊपर भी बिगड़ सकते है.
ऐसे लोगो का कोई इलाज नही होता है, अगर आपको सुकून चाहिए तो आपको इनकी हां में हां मिलाना पड़ेगी. नही तो ये तो पक्का है कि ये आपका सुकून छिन लेंगे. बस कुछ ऐसे लोगो की वजह से ही समझ नही आ रहा है कि देश में आखिर क्या हो रहा है. देश में ऐसे बहुत सारे लोग है, जो गली चौराहे या किसी नुक्कड़ पर आपको ज्ञान बांटते दिखाई देगे. जो बड़ी देश हित की बात करेगे, किन्तु उनकी बातो का सार जीरो रहेगा. वे अपनी बात की शुरुआत भी बड़ी समझदारी से इसी लाइन से करते है..... अरे भाई देश में हो क्या रहा है????
क्या 60 साल में कभी बजे थे ऐसे रात के आठ.....